Gokuldham Maha Episode 3- Sex Story
उधर जेठालाल आज अपनी दुकान पे अकेला था....नटू काका किसी से चेक लेने गये थे....और बाघा पीछे गॉडाउन में स्टॉक रखवा रहा था...
तभी जेठालाल की दुकान पे एक कस्टमर अंदर आई....जिसे देखते ही जेठालाल का मुँह खुला का खुला रह गया...
वो हुआ यूँ की...जो लड़की दुकान के अंदर एंटर कर रही थी....वो कुछ ज़्यादा ही मॉडर्न किस्म की थी.....उसकी ड्रेस....एक छोटा सा मिनी स्कर्ट जो घुटनो से उपर था....और उपर से उसका टॉप..जिसमे आधी चुचियाँ दिख रही थी..उपर से उसने अपना एक बटन खुला छोड़ा हुआ था...
जैसे ही वो एंटर हुई...पता नही उसके सॅंडल में क्या हुआ...वो सामने की तरफ से झुकी..जिसकी वजह से उसकी चुचियाँ और ज़्यादा दिखने लगी...
अब जेठालाल के पसीने छूट गये....उसका लंड अपनी जगह से उठ कर..आज सुबह से 4 थी बार खड़ा हो चुका था....लेकिन सिर्फ़ खड़ा ही हो पाता था...इससे ज़्यादा और कुछ नही...इसलिए वो इतना परेशान था सुबह से....
अब वो लड़की सीधे खड़ी हो गई थी...और जेठालाल की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी...
अब जेठालाल उसके पूरे शरीर का मुआयना ले रहा था...देखने में वो एक हॉट...सेक्सी...एक मॉडेल जैसे लग रही थी....उसका फेस बहुत ही ज़्यादा क्यूट..रंग एक दम गोरा...फेस से नज़र हटा के जब जेठालाल थोडा नीचे पहुँचा तो..उसने देखी...दो बड़े बड़े गोल गोल...चुचियाँ..जिसके निपल्स टॉप के बाहर से देखे जा सकते थे.....उसने और नीचे..पतली सी कमर...और नीचे मस्त मस्त गोरी जाँघ...दूर से दिखने से पता चल रहा था कि कितनी सॉफ्ट होंगी....और उसके शरीर से उसकी गान्ड की गोलाईयों का अंदाज़ा लगा रहा था....
जब उस लड़की ने जेठालाल को ऐसे घूरते हुए देखा....तो उसने एक अजीब से स्माइल पास कर दी.....और दुकान के अंदर आ कर जेठालाल के सामने खड़ी हो गई......!!!!!!!!!!!
लड़की जेठालाल के सामने आकर खड़ी होकर उसे हेलो बोलती है...
जेठालाल :- हेलो...
और उसकी नज़र अभी भी..उसके चुचों पे ही पड़ी रहती है...बेचारे उसकी कोई ग़लती नही थी...अगर नटू काका भी होते तो उनका भी इस उमर में खड़ा हो जाता...उस लड़की को देख कर..उसके चुचे आधे बाहर और आधे अंदर थे....फिर वो लड़की जेठालाल का ध्यान तोड़ते हुए..
लड़की :- जी...क्या आप मुझे एक अच्छा सा मोबाइल दिखाएँगे...
जेठालाल :- नींद से जागते हुए...जी हाँ बिल्कुल....आपकी रेंज क्या है..
लड़की :- जी अच्छा सा दिखा दीजिए...चाहे वो कितने का भी हो...
जेठालाल :- तभी अपनी अलमारी से एक **** का **** दिखा देता है....और बोलता है...जी ये बिल्कुल लेटेस्ट पीस है..बहुत अच्छा है...बहुत चलता है मार्केट में....
तभी वो लड़की उस डमी को हाथ में पकड़ के पूछती है..
लड़की :- कितने का है ये??
जेठालाल :- बॅस 30000 का...
लड़की :- ओहकक....फीचर तो अच्छे हैं ना इसके...
जेठालाल :- जी बिल्कुल...बे फिकर हो जाइए.....सबसे बढ़िया है...
लड़की फोन के डमी को देख रही होती है...और तभी उसके हाथ से वो नीचे गिर जाता है...
लड़की :- आइ आम सॉरी...
जेठालाल :- कोई बात नही...वो तो डमी है...रुकिये में उठा देता हूँ..
लड़की :- नही आप रहने दीजिए...में उठा देती हूँ...
और वो नीचे झुक जाती है उठाने के लिए...जैसा कि पहले बताया था मेने...उसने बहुत छोटी से मिनी स्कर्ट टाइप पहनी हुई थी...जैसे वो नीचे बैठी...घुटनो के बल....उसकी टाँगे खुल जाती है...और जेठालाल को अंदर का नज़ारा दिख जाता है...
वो उस लड़की की रेड कलर की पैंटी देख के पगल हो जाता है....उसका लंड अब उसके अंडरवेर के अंदर समा नही रहा था....वो बाहर आने को बेताब था..लेकिन सुबह से वो सिर्फ़ अंदर ही रह जाता था......जब लड़की की नज़र उपर गई तो उसने देखा कि जेठालाल क्या देख रहा है....
जब उसे पता चला कि वो उसकी पैंटी की तरफ देख रहा है ....तो वो उपर उठती हुई उसको स्माइल दी..बदले में जेठालाल ने भी स्माइल दे दी....
जेठालाल जानता था...अगर इस लड़की ने कुछ बोल दिया तो...सारी जगह उसकी बदनामी हो जाएगी....
फिर वो लड़की बोली....
लड़की :- मुझे ये फोन पसंद है और में इसे खरीदना चाहती हूँ....
जेठालाल :- जी बिल्कुल .... अभी देता हूँ इसका एक पीस....और फिर जेठालाल एक ओरिजिनल पीस निकाल के उसे दे देता है...
लड़की :- क्या आप मुझे इसके फीचर्स भी बता देंगे...
जेठालाल :- खुश होते हुए....चलो कम से कम थोड़ी देर और इसके साथ रहने का मौका मिलेगा....
वैसे जेठालाल कभी किसी कस्टमर के साथ ऐसा नही कर सकता था...लेकिन बेचारा क्या करता...उसकी सुबह से जो हालत थी...उसे वो कंट्रोल नही कर पा रहा था....
तभी वो लड़की वो एक चेयर पे बिठा देता है....और खुद उसके बगल में बैठ जाता है...उसको फीचर्स समझाने के लिए....
अब देखते हैं....कि वो उसको फीचर्स बताता है..या फिर कुछ औरर्र......!!!!!
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जेठालाल और वो लड़की दोनो अपनी अपनी चेयर पे चिपके के बैठे थे....
लड़की :- अच्छा तो आप इसके फीचर्स बता दीजिए प्लीज़्ज़ज्ज्ज....
जेठालाल :- लार टपकाते हुए..उसकी तरफ एक टक देख रहा था....जी बिल्कुल...क्यूँ नही...ये तो मेरा काम है...आप जैसों को अच्छी तरह से समझाना...
लड़की :- मुस्कुराते हुए...क्या मतलब..
जेठालाल :- मतलब..फीचर्स समझाना ...
लड़की :- ओके...तो बताइए ना...
जेठालाल अब फीचर्स बताने लगता है....वो एक एक फीचर को ऐसे बता रहा था जिससे काफ़ी टाइम लगे.....
अब वो उस लड़की के बेहद चिपक के बैठा था....जिसकी वजह से उसका एक हाथ उसके बड़ी बड़ी चुचियों पे लग रहा था....
जेठालाल का हाथ उसकी चुचियों पर लगता है...उसका लंड लोहे जैसा कड़क होके खड़ा हो गया..क्यूँ कि...वो बहुत ही ज़्यादा सॉफ्ट थी...जिसकी वजह से उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था....
उधर लड़की को जेठालाल का हाथ अपनी चुचियों पे महसूस हो रहा था...जिसकी वजह से वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी.....अब वो लड़की जान बुझ के अपने चुचों को आगे पीछे कर रही थी...जिसकी वजह से जेठालाल का हाथ और उसकी चुचियों पे चिपक रहा था....
अब जेठालाल की हिम्मत बढ़ चुकी थी...अब वो भी अपनी कोहनी को और अंदर दबा रहा था....जिसकी वजह से उस लड़की के चुचे और ज़्यादा अंदर धन्स रहे थे....
तभी जेठालाल को एक झटका लगा....क्यूँ की उस लड़की ने अपना एक हाथ..जेठालाल की पैंट के उपर से उसके लंड पे रख दिया था...जो पहले से अकडा पड़ा हुआ था...और पैंट में से आज़ाद होने के लिए तड़प रहा था...
जेठालाल सवालिया नज़रों से उस लड़की को देख रहा था....वो लड़की उसकी तरफ देख कर मुस्कुरई...और बोली...
लड़की :- क्या हुआ...अच्छा नही लग रहा है क्या...
तभी.जेठालाल का फोन बज उठता है...और वो होश में आता है..और अपने हाथ से उस लड़की के हाथ को झटका देता है....
वो फोन की तरफ देखता है...तो दया का फोन होता है....
जेठालाल फोन उठा के..
जेठालाल :- हाँ दया बोल.....
दया :- टप्पू के पापा...क्या कर रहे हो..
जेठालाल :- दया कैसी नॉनसेन्स जैसी बात कर रही है...दुकान में हूँ काम कर रहा हूँ...
दया :- ओह्ह हाँ..सोरररययी....अच्छा ये बताइए कि आप रात में क्या खाएँगे...
जेठालाल मन में सोचते हुए...कि दया मुझसे कितना प्यार करती है..और में यहाँ ग़लत काम कर रहा था...
दया :- हेलो...टप्पू के पापा...आप हो..
जेठालाल :- हाँ हाँ भाई...तू जो चाहे वो बना ले...चलो..ज***********
दया :- ठीक है...ज*************.....
फिर जेठालाल पीछे मुड़ता है और उस लड़की की तरफ देखता है....
लड़की :- आइए ना मुझे फीचर बताइए ना....
जेठालाल जैसे ही बोलने वाला होता है...उधर से नटू काका की आवाज़ आती है...
नटू काका :- सेठ जी...में पेमेंट ले आया..
जेठालाल हश्ह्ह्ह....
नटू काका :- क्या अपने कुछ कहा मुझसे...
जेठालाल :- कुछ नही...एक काम करो..इन मेडम का फोन पॅक कर के बिल बना दो…
लड़की थोड़ी सी निराश हो जाती है...और नटू काका के पास चली जाती है...
जेठालाल उससे पैसे लेता है....और फिर...लड़की उसे अपना एक कार्ड दे देती है...और बोलती है...
लड़की :- ये लीजिए...मेरा कार्ड...कभी ज़रूरत पड़ी तो...
बॅस इतना ही बोलती है...
जेठालाल उस कार्ड को ले लेता है...बिना कुछ बोले..क्यूँ कि अगर कुछ बोलेगा तो नटू काका...फिर उससे पंचायत करेंगे...और वो कार्ड लेके...फैंक देता है......
जेठालाल मन में.....आज जो में करने जा रहा था वो था तो ग़लत...लेकिन में अपने इस बम्बू को कैसे समझाऊ...ये तो कहीं भी फुदक पड़ता है....परेशान कर रखा है सुबह से..क्या करूँ....और फिर से अपने लंड पे हाथ मार कर...अबे ओये..शांत बैठ जा...हमेशा मेढक की तरह उछल जाता है....
नटू काका :- आपने मुझसे कुछ कहा??
जेठालाल :- अरे नही भईई अपना काम करो ना....
रात के 9 बाज चुके थे.....
जेठालाल के घर पे....
जेठालाल :- वाहह दया..क्या खाना था...मज़ा आ गया...
बापूजी :- हाँ बहू सच में आज बढ़िया खाना बना था...तभी तो इस जेठिया ने...डबल खाया है..
जेठालाल :- हाँ बापूजी..क्या करूँ...क्रांट्रोल नही हो रहा था...
बापूजी :- ये क्रांट्रोल वाली...इतना खाएगा तो एक दिन पेट फट जाएगा...
जेठालाल अपना मुँह बनाते हुए...
बापूजी :- कम खयाआआआ कार्रररर....चिल्लाते हुए बोलते हैं...
जेठालाल :- ठीक है बापूजी..अगली बार से कम खवंगा...घबराते हुए बोलता है...
अच्छा दया में सोडा पीने जा रहा हूँ...
दया :- हाँ तो में भी चल रही हूँ...
जेठालाल :- तू भी सोडा पिएगी...
दया :- हाहहहहः......नही बाबा...वो नीचे सारी लॅडीस मिलने वाली है ना...तो में वहाँ जाउन्गी...
जेठालाल :- अच्छा चल....
और दोनो नीचे चल देते हैं…
नीचे पहुँचते ही....जेठालाल की नज़र बबीता जी पर पड़ती है...और सुबह वाली घटना याद आ जाती है...और याद आते ही फिर से उसका लंड अकड़ने के लिए तैयार हो जाता है..लेकिन इस बार वो अपने आप पर कंट्रोल करता है...
जेठालाल :- बबीता जी गुड नाइट...
सब चौंकते हुए...
बबीता जी :- गुड नाइट नही जेठा जी...गुड ईव...
जेठालाल :- तो ये रखो...गुड ईव...बबीता जी...
और सबको भी गुड ईव बोलता है...
जेठालाल :- बबीता जी...आपका ये ड्रेस तो बहुत सुंदर लग रहा है...
उस वक़्त बबीता जी ने...नाइट सूट पहना हुआ था...एक टाइट सा उपर शर्ट..जिसमे उसके बूब्स बहुत ही ज़्यादा बड़े लग रहे थे और नीचे पहना था..पाजामा...जिसमे उसकी गान्ड बहुत ही ज़्यादा मस्त लग रही थी..
बबीता :- थॅंक यू जेठा जी...
जेठालाल :- वैसे आपका सुबह वाला काम पूरा हो गया था...
जेठालाल का मतलब था...कि सुबह अपना पानी निकल गया था..चूत में से...
बबीता :- समझ गई थी...उसने स्माइल देते हुए कहा....हाँ जी कर लिया था...
तभी पीछे से दया आते हुए...अरे टप्पू के पापा आप गये नही सोडा पीने..
जेठालाल :- हाँ भाई जा रहा हूँ..
गुड नाइट बबीता जी...गुड नाइट...अब तो ठीक है ना बबीता जी...
बबीता :- जी हाँ ....गुड नाइट...
और जेठालाल सोडा की शॉप की तरफ निकल पड़ता है...
उधर सोडा की शॉप पर सब हंस रहे थे और आपस में बात कर रहे थे...
में आपको बता दूं..कि कौन कैसे खड़ा था अब्दुल की दुकान पर...
दुकान के अंदर अब्दुल..उसकी बगल में सोढी बैठा था...और उसके साइड में पोपटलाल खड़ा था...
नीचे बाहर की तरफ थोड़ी ज़मीन पर डॉक्टर हाथी बैठे थे...उसके जहाँ ड़कटोर हाथी बैठे थे उनकी लेफ्ट साइड में मेहता साहब खड़े थे...और राइट साइड में भिड़े और अईयर....
सोढी :- क्या बात है मेहता साहब..आज अपना जेठा प्रा नही आया अभी तक्क..
मेहता साहब बोलते इतने में भिड़े बोल पड़ा...
भिड़े :- अरे सोढी..जेठालाल सो गया होगा अभी तक...उसको सिर्फ़ दो कम आते हैं सोना और खाना....उसके अलावा उसे कुछ नही आता..
अईयर :- हाँ आत्माराम तुम बिल्कुल सही बोल रहे हो...
तभी एक आवाज़ आती है....तुम को क्यूँ इतनी चपली है भिड़े...हर वक़्त दूसरो में क्यूँ इतना दिमाग़ लगाते हो
तभी एक आवाज़ आती है....तुम को क्यूँ इतनी चपली है भिड़े...हर वक़्त दूसरो में क्यूँ इतना दिमाग़ लगाते हो...जी हाँ जेठालाल पीछे खड़ा सब सुन रहा था....
तभी मेहता साहब हंस देते हैं...
पोपटलाल :- मेहता साहब आप क्यूँ हंस रहे हैं..
तारक :- भाई मुझे पता था कि जेठालाल पीछे ही खड़ा था..
भिड़े :- तो अपने मुझे बताया क्यूँ नही..
जेठालाल :- हाँ तो पता चलना चाहिए ना..कि तुम क्या सोचते हो...चपली कहीं के...और चलते चलते मेहता साहब के पास आकर खड़ा हो जाता है..
और अईयर भाई आपको हाँ में हाँ मिलाना बहुत आता है...चुप रहा करो..
अईयर बोलने लगता है..लेकिन मेहता साहब उसे रोक देते हैं...और बोलते हैं..
तारक :- देखिए मुझे आपसे कुछ बात करनी है..
सभी बोलते हैं..बोलिए मेहता साहब..
ह्म्म्म देखते हैं...अब क्या बात होती है अब्दुल की दुकान पार....
हाँ तो मेहता साहब अब्दुल की दुकान पर कुछ बताने जा रहे थे...
तारक :- हाँ तो भाई जेठालाल बता दिया जाए...सबको...
सुबह से जेठालाल का मूड कुछ ठीक नही था..तो उसको याद भी नही था..तभी उसने पूछा..
जेठालाल :- क्या मेहता साहब...क्या कहना है...
तारक :- अरे भाई भूल गयी वो सुबह लेटर वाली बात..
जेठालाल :- दिमाग़ की बत्ती जलाते हुए...अरे हां...में तो भूल ही गया था...हाँ बिकलूल बताइए..
पोपटलाल :- हाँ मेहता साहब बताइए...क्या बात है..
तारक :- हाँ पोपटलाल बताता हूँ....बात ये है कि....जेठालाल को सुबह एक लेटर आया था..जिसमे उसको पार्टी के लिए इन्वाइट किया गया है...और उसमे ये भी लिखा था कि वो 5 या 6 जनों को अपने साथ ले जा सकता है...
सोढी :- अरे क्या बात कर रहे हो...मेहता साहब..पार्टी शार्टी....मज़ा आ जाएगा...
अईयर :- हाँ सोढी...मज़ा आ जाएगा..वैसे भी काफ़ी दिन हो गये हैं...
भिड़े :- पार्टी ..... मज़ा आएगा..
जेठालाल :- क्यूँ भिड़े अब क्या हुआ...अभी तो कुछ और ही बोल रहे थे...
भिड़े :- वो तो बस ऐसे ही जेठालाल....आइ आम सॉरी..
जेठालाल :- क्या सॉरी...तुझे नही लेके जाउन्गा पार्टी में..
भिड़े :- अरे जेठालाल सॉरी बोला ना तुझे...
तारक :- हँसता हुआ....अरे भाई भिड़े जेठालाल मज़ाक कर रहा है...
डॉक्टर. हाथी :- जेठा भाई खाने का भी प्रोग्राम हो गया ना...
जेठालाल :- हान्फते हुए...जी बिल्कुल होगा..
पोपटलाल :- अच्छा तो पार्टी है कब??
जेठालाल :- अभी डेट तो नही आई है..जिस दिन आ जाएगी..में मेहता साहब को बता दूँगा..वो तुम सबको बता देंगे...
उधर महिला मंडल आपस में मिल के बातें कर रही थी..और हंस रही थी...
कोमल :- इनको तो बस सारा दिन खाने को चाहिए...
माधवी :- हाँ तभी तो उनका इतना वजन है....
और सब हँसने लगते हैं...
रोशन :- क्या बात है भिड़े बहेन...आप आज बहुत खुश लग रही हैं...
दया :- हाँ भिड़े बहेन...आप बहुत ज़्यादा खुश हैं..
माधवी :- शरमाते हुए...अरे नही ऊई बाबा कोई बात नही है..
बबीता :- नही कोई बात तो ज़रूर है...तभी आप इतना शर्मा रही हैं...
कहीं भिड़े भाई ने तो आज कुछ नही किया आपके साथ...
सभी एक साथ माधवी को छेड़ने लगते हैं...
माधवी :- शरमाते हुए....हाँ बस ... वो दोपहर को ही...बॅस इतना ही बोल पाती है...
कोमल :- अरे दोपहर को क्या...बताइए ना...उसमे क्या है..
माधवी :- हाँ आज सुबह सुबह इन्होने..किचेन में मेरे साथ कर दिया...में तो आचार बना रही थी..पता नही पीछे से कब आ गये..और...
दया :- और क्या....हाहहहहहह....भिड़े बहेन देखो कितना शर्मा रही है..खुल के बताइए...
माधवी :- धत्त...दया भाभी आप भी ना..
रोशन :- बताइए ना बावा...
माधवी :- अरे हुआ यूँ..ये पानी पीने अंदर आए किचेन में..में स्लिप पे खड़ी आचार का काम कर रही थी...पीछे से आए...और मेरी चूत मार ली..बॅस
सभी एक साथ ओहूऊ क्या बात है...
लेकिन ये बात सुन के दो जने बहुत गरम हो गये थे...एक थी बबीता और दूसरी दया...
दोनो ही नही चुदे थे...काफ़ी दिनो से..
बबीता :- आपके तो मज़े हैं..माधवी भाभी..भिड़े भाई आपका कितना ख्याल रखते हैं...
माधवी :- हाँ वो तो है..बस एक ही दिक्कत है..
अंजलि :- क्या??
माधवी :- ये बहुत ही ज़्यादा जल्दी झड जाते हैं..
अंजलि :- ओहू..तो आप फिर उन्हे करेले का जूस पिलाए...में तारक को देती हूँ ना...
दया :- तभी तो मेहता साहब देर तक करते होंगे...और हंस देती है...
और बाकी के भी सब हंस देते हैं....
अंजलि :- क्या दया भाभी आप भी..
माधवी :- अंजलि भाभी..अगर ऐसा है तो ट्राइ करूँगी....
रात के 10 :30 बजे.....
जेठालाल के घर पे....
जेठालाल पलंग पे बैठा था...उसका मूड कुछ अच्छा हो गया था...और उधर दया किचेन से कमरे में आई..नीचे की ही बातों से वो काफ़ी गरम थी और आज अच्छे से चुदना चाहती थी...लेकिन उसने जेठालाल से कुछ बोला नही...और बगल में आके लेट गई...
दया पलंग पे आके..जेठालाल की तरफ पीठ कर के लेट गई...
जेठालाल को थोडा अजीब लगा...उसे लगा शायद दया नाराज़ है..कि इतने दीनो से उसकी जम कर चुदाई नही की है...चलो आज सही मौका है...मेरा भी बुरा हाल है..सुबह से परेशान हूँ...पता नही किसकी पनौती लग गई है....वो सारी भडास आज दया के उपर निकाल देता हुन्न्ं.....
जेठालाल :- दया....दया...मेरी रानी...नींद आ गई क्या..
लेकिन दया कोई जवाब नही देती....
फिर जेठालाल सोचता है..कि बोलने से क्या फ़ायदा....शुरू कर देता हूँ..अपना काम...अपने आप ठीक हो जाएगी...
और फिर जेठालाल हाथ बढ़ा कर...दया की गान्ड को अपने हाथ से दबा देता है...दया थोड़ी कसमसाती है..लेकिन कुछ नही बोलती है...
जब दया को लगता है..कि उससे कोई फरक नही पड़ा...तो वो एक अजीब सी हँसी हब्साता है..और गान्ड को इस बार कस के दबा देता है...
इस बार दया सिसक उठती है....और वो मूड कर..जेठालाल की तरफ देखती है...और बोलती है..
दया :- अब क्यूँ कर रहे हैं आप
जेठालाल :- दया तुझे तो पता है ना...कि कुछ दिनो से क्या हाल थे सोसाइटी के ..टाइम ही कहाँ मिला..तू ही बता मेरी क्या ग़लती है..
जेठालाल की बात सुन के...थोड़ा सोचके बोलती है...
दया :- हाँ टप्पू के पापा आप ठीक बोल रहे हैं...सॉरी..
जेठालाल :- अरे सॉरी क्या इसमे डोबी..अब छोड़ बोलने पर टाइम वस्ती मत कर...और उसकी गान्ड को और ज़ोर से निचोड़ देता है...
दया हल्की सी चिल्लाते हुई...उईइ माआ....आराम से टप्पू के पापा...
जेठालाल :- दया आज तेरा कचूमर बना दूँगा....देखती जा बसस्स...
दया :- अच्छा...हँसती हुई...हर बार में ही निकालती हूँ....
जेठालाल :- चल आज देख लेते हैं..कौन किसका कचूमर निकालेगा...
और फिर जेठालाल दया को अपने उपर लेटा लेता है....और उसके बाल खोल देता है...और उसके बालों के अंदर हाथ फैरने लगता है...
जेठालाल :- दया...आज में तुझे अब तक की सबसे बड़ी चुदाई दूँगा...
दया :- शरमाते हुए..अच्छा...में भी कब से इंतेज़ार कर रही थी...बॅस इतना ही बोल पाती है..और जेठालाल उसके होंठ अपने होंठ से चिपका लेता है...
और उसके होंठो को चूसना शुरू कर देता है...दोनो के होंठ ऐसे जुड़े थे..जैसे फेवीकॉल लगा दी हो..थोड़ी ही देर में..ससयरृूप्प्प्प्प जैसी आवाज़ें आनी शुरू हो जाती है...
फिर कुछ देर बाद..जेठालाल अपनी जीभ दया के मुँह के अंदर डाल देता है...और फिर दोनो एक दूसरे के मुँह का रस पान करने लगते हैं...
कुछ 3 मिनट तक ऐसा ही चलता रहता है...फिर दया अपने आप को छुड़ाते हुए...
दया हान्फते हुई...
दया :- बसस्स करिए....साँस नही आ रहा था मुझे....
जेठालाल :- हाहहः क्या हुआ..मेने कहा था ना आज तेरा कचूमर निकाल दूँगा....
दया :- मेने भी मादरचोद का पानी पिया है....अभी तो बहुत कुछ बाकी है मेरे दोस्त...
जेठालाल :- अच्छा चल...एक शर्त लगाते हैं..
दया :- कैसी शर्त?
जेठालाल :- देखते हैं....कि कौन किसका पानी सबसे पहले निकालेगा.....
दया :- ठीक है...चलो...देखते हैं..
जेठालाल :- लेकिन सिर्फ़ 5 मिनट ही मिलेंगे...नही तो कोई भी निकाल देगा...
दया :- हुह...5 मिनट तो बहुत है..में तो आपका 2 मिनट ही निकाल दूँगी....
जेठालाल :- चल जा ना...देखते हैं...
बस इतना बोलती है..और जेठालाल को झटका लगता है...क्यूँ कि...वो जेठालाल के लंड को पाजामे के अंदर से निकाल के...हाथ में पकड़ लेती है...
जेठालाल दया की इस फुर्ती हो देख के दंग रह जाता है...
दया उसकी आँखों में देख के....अपनी जीभ बाहर निकाल के..पूरे लंड को उपर से नीचे तक चाट देती है...जिससे जेठालाल का पूरा का पूरा शरीर हिल जाता है.....
फिर से एक बार दया...अपनी जीभ बाहर निकालती है...और इस बार...उसके लंड के बॉल्स से लेकर ऊपर लंड के सुपाडे तक फिर से चाट देती है...इस बार जेठालाल की आधी पीठ हवा में झूल जाती है....
जेठालाल :- आहह दयाया.....मज़ा आ गया....
और फिर दया अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा देती है...और अपनी ब्लाउस के बटन को खोल देती है...
जब जेठालाल की नज़र उस पर पड़ती है..तो उसका लंड और ज़्यादा अकड़ जाता है....वो घड़ी की तरफ देखता है...अभी तो सिर्फ़ 1 मिनट ही बीता होता है..और जेठालाल का बुरा हाल हो जाता है...
अब दया अपने हाथ से लंड को हिला रही थी..और लंड का मूठ मार रही थी...कुछ देर ऐसे करने के बाद...दया अपने मुँह को खोल के...जेठालाल का लंड थोडा सा मुँह में लेके चूसना शुरू कर देती है...
जेठालाल :- आहह ओह्ह्ह्ह...ह्म...दया....बहुत अच्छा लग रहा है...करती रह....
अब दया अपना पूरा ब्लाउस..उतार के फेंक देती है....अब वो सिर्फ़ ब्रा में होती है उपर से...जेठालाल का और ज़्यादा बुरा हाल हो जाता है....
जेठालाल :- ये तो चीटिंग है दया..
अब दया अपना पूरा ब्लाउस..उतार के फेंक देती है....अब वो सिर्फ़ ब्रा में होती है उपर से...जेठालाल का और ज़्यादा बुरा हाल हो जाता है....
जेठालाल :- ये तो चीटिंग है दया..
दया लंड को निकाल के....
दया :- इसमे क्या चीटिंग...है...अपने दिखाए डिस्ट्रब मत कीजिए..टाइम ख्तम हो जाएगा....
और फिर से लंड को मुँह में लेकर चूसने लगती है...
अभी 3 मिनट बीत चुके थे...अब दया को थोड़ी टेन्षन हो गई थी..कि..अब क्या होगा....लेकिन फिर भी वो हिम्मत नही हारती....और अब लंड को तेज़ी से चूसने लगती है...
अब पूरे कमरे में घड़ी की आवाज़ के अलावा...पूछ पुचह,.....जैसी आवाज़ें आ रही थी.....
4 मिनट बीत गये थे...अब सिर्फ़ 1 मिनट बचा था...जेठालाल कुछ होते हुए....
जेठालाल :- डाययययययाअ आहह....ओह सिरफफ़्फ़ 1 मिन्न्न्न् बचा है....आहह....
दया जेठालाल की बात सुनती है..लेकिन कुछ बोलती नही...बस अब वो सिर्फ़ लंड चूसने में लगी रहती है....
लेकिन अब सिर्फ़ 30 सेक बाकी थे....दया को कुछ जल्दी सोचना था....और उसने सोचा....उसने वो किया कि ..किसी का भी लंड से पानी छूट जाए.......
दया ने अपना मुँह बाहर निकाला 1 सेक के लिए जेठालाल की शक्ल देखी और फिर.....
अपना मुँह खोल के पूरा का पूरा लंड अंदर ले लिया...और बड़ी तेज़ी से उसे अंदर बाहर करने लगी....
जेठालाल इस प्रहार से पागल हो गया....वो ना चाहते हुए भी..दया के सर के पीछे हाथ ले जाके ... लंड पे दबा रहा था....दया पूरे जोश से पूरे लंड को मुँह में लेती और बाहर कर देती.....अब जेठालाल का निकलने वाला था...जब उसको याद आया..कि ये शर्त है ..उसने बड़ी मुश्किल से हाथ हटाया....
लेकिन दया रुकी नही....वो ऐसे करती रही...बससस्स..अब जेठालाल से कंट्रोल नही हो रहा था...उसने टाइम देखा.....
टाइम पूरा हो चुका था..5 मिनट हो चुके थे...उसने दया के सर को पकड़ा और झटके से बाहर निकाला....
उसने सर को इतनी ज़ोर से पीछे पटका..कि दया पीछे की तरफ़ गिर गई...
जेठालाल :- बसस्सस्स...हान्फते हुए...बससस्स...टाइम पूरा हो गया...
दया :- हान्फते हुई...अहहहहः...हांफे जा रही थी...देखा निकाल दिया ना..
जेठालाल :- अभी भी हाँफ रहा था...आई डोबी..नही निकला अभी..देख...वो तो अच्छा है टाइम देख लिया मेने...नही तो में हार ही जाता..
दया थोड़ा मायूस होते हुए...
दया :- ओफूऊ...ये कैसे...मेने तो अपना सबसे बड़ा हथियार इस्तेमाल किया था...
जेठालाल :- हाहहः...दया ..ये ब**** के रहने वाले का लंड है..ऐसे थोड़ी छोड़ेगा...हार गई ना तू...
दया :- आहानन्न....अभी कहाँ से हार गई...अभी तो आपकी बारी है...देखते हैं...कि आप क्या करते हैं....और पलंग पे लेट जाती है...
जेठालाल :- देखते हैं....आज तो तेरा रस निकाल के छोड़ूँगा..और सारा पी भी जाउन्गा....
और फिर जेठालाल...दया की तरफ़ बढ़ने लगता है.......!!!!!!!
दया शर्त के मुताबिक...5 मिनट में जेठालाल के लंड से उसका रस नही निकाल पाई थी...अब जेठालाल की बारी थी..
दया पलंग पे लेट गई थी....जेठालाल उसकी तरफ बढ़ता हुआ....
दया :- हाँ तो आपका टाइम शुरू होता है..
जेठालाल :- आई...अभी कहाँ...अभी तो तेरा पेटिकॉट और पैंटी नीचे करूँगा...उसके बाद मेरा टाइम शुरू होगा....लुच्ची चीटिंग करती है....
दया :- उई माँ...ठीक है...
और फिर जेठालाल फटाफट साड़ी को उपर कमर तक कर देता है...और पैंटी नीचे खीच देता है..और उसकी चूत को देखने लगता है...जो कि पूरी की पूरी गीली पड़ी थी....ऐसा लग रहा था जैसे दया कब का अपना रस बहा चुकी है.....
जेठालाल :- दया...तेरी चूत इतनी गीली...कहीं तू पहले से ही तो पानी नही छोड़ चुकी....
दया :- शरमाते हुए...क्या आप भी..जल्दी शुरू करिए में टाइम स्टार्ट कर रही हूँ...
दया भी चाहती थी...कि टप्पू के पापा अब जल्दी से मेरी चूत चूस डालो...क्यूँ कि उससे भी रहा नही जा रहा था.....
और तभी जेठालाल अपना मुँह उसकी चूत पे रख देता है...और दया टाइम भी देख लेती है...
जेठालाल दया की चूत पे जीभ रख के...ज़रा सा उसे चाट देता है...दया के शरीर में हल्का सा करेंट लगता है और उसके मुँह से..हल्की सी अह्ह्ह्ह..निकल जाती है...
जेठालाल सोचता है..इसका तो में आज काम तमाम कर दूँगा 5 मिनट से पहले...और फिर से अपना मुँह उसकी चूत पे रख देता है...और चुंबनों की बौछार कर देता है....
दया :- आअहह ओह..टप्पूउ के पपपप्पा...अहह...
जेठालाल के मुँह पे दया का पानी लग जाता है..जिसे वो चाट रहा होता है....टाइम देखता है तो अभी 1 मिनट ही बीता था...
और फिर वो अपनी उंगलियों से उसकी चूत की फांकों को खोलता है...और अपनी जीभ अंदर डाल के..उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगता है...
दया :- पागलों की तरह सिसकियाँ ले रही थी....अहह...ओह्ह्ह्ह...
माआआआ.....माररर्ररर गैिईईई....हन्ंननणणन्......ओह…
जेठालाल अब बहुत तेज़ी से चूत के अंदर उसे चाट रहा था...दया का बुरा हाल हो रहा था...उसकी सिसकियाँ ख़तम ही नही हो रही थी...वो अभी भी तेज़ तेज़ सिसकियाँ ले रही थी...आहह ओह्ह....उसका भी हाथ जेठालाल के सर के पीछे चला गया था..और अपनी चूत के अंदर दबा रहा था...
इतने सुखद आनंद मिलने की वजह से .. दया को शर्त का याद ही नही रहता....
जब जेठालाल को लगा कि दया झड क्यूँ नही रही है..वो पीछे हटा...उसने देखा सिर्फ़ 2 मिनट ही बच्चे हैं..
दया उसकी तरफ देख के मुस्कुराइ और बोली..
दया :- मदहोशी में...क्या हुआ टप्पू के पापा....मज़ा आ रहा था....रुक क्यूँ गयी...और वो टाइम की तरफ़ देखते हैं...2 मिनट से कम बचे थे....ओह्ह्ह अच्छा....हाहहहः...मेने कहा था कि में नही झडुन्गी...
जेठालाल उसकी बात को सुन के जोश में आ जाता है...और अपनी एक उंगली की बजाए...एक साथ 3 उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा देता है...
दया इसके लिए तैयार नही थी....और चिल्लाते हुए बोलती है...
दया :- ओह अहहहहहहाहा....अहह...टॅपू.. के पापपपप....ये तो चीटिंग...हाईईइ......
जेठालाल :- क्या चीटिंग...तूने भी तो यही किया था...और जेठालाल अपनी उंगलियों की स्पीड बढ़ा देता है....उसकी उंगलियाँ चूत के रस से भीगी पड़ी थी....वो अब बहुत तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था...अजीब अजीब आवाज़ें आ रही थी....
दया ने अपने आप को कैसे कंट्रोल कर रखा था बस वही जानती थी....
जब जेठालाल ने टाइम देखा तो सिर्फ़ 40 सेक रह गये थे..उसने फ़ौरन उंगलियाँ बाहर निकाली..और सोचने लगा...तभी उसको एक आइडिया आता है...वो फिर से उसकी चूत पे मुँह लगा के बैठ गया....
और कुछ खोजने लगा....दया को लगा अब तो में जीत ही जाउन्गी......
याभी वो ज़ोर से चिल्लाई...ओह......उईईईईईईईईईईईई.... म्माआआ....मररर्ररर गैिईईईईई....
उसकी चिल्लाने की वजह ये थी .... कि जेठालाल ने दया की चूत के क्लिट को अपने मुँह में ले लिया था..और उसे खीच रहा था.....
दया :- टप्पू के पापा वहाँ नही...प्लस्स नही.....छोड़िईईईई अहह ओह्ह्ह.....
और वो टाइम देखती है..बस 5 सेक रह गये होते हैं...वो अपना हाथ जेठालाल के सर के पीछे ले जाती है...और फिर...
फिर क्या था....उसके सर को पकड़ के पीछे धक्का दे देती है....क्यूँ कि 5 मिनट पूरे हो गये होते हैं....
जेठालाल के मुँह -पे चूत का रस तो लगा होता है..लेकिन अभी दया पूरी तरह झडि नही थी....
दया :- हान्फते हुई....उईइ माँ..जान निकाल दी...लेकिन दिखिए फिर भी में...नही झडी...
जेठालाल :- मुस्कुराते हुए...दया डोबी..तुझे ये पता है..कि शर्त की वजह से आज हमने एक दूसरे को सबसे अच्छी तरह चूसा है...
दया :- अरे हाँ..ये तो मैं भूल ही गई थी...
जेठालाल :- अब शर्त तो कोई भी नही जीता...अब चल अब हम अपना काम पूरा करते हैं..
दया :- अरे टाइम तो देखिए कितना हो गया...हाई सोना नही है.. क्या..
जेठालाल उसे गुस्से की नज़र से देखता है.....
अब देखते हैं...कि दया सो जाएगी ...क्या जेठालाल की पनोती अभी तक चल रही है...क्या फिर आज वो दया की ऐसी चुदाई करेगा जिसे वो कभी नही भूलेगी.....!!!!!!
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दया जेठालाल की ऐसी शक्ल देख के हंस देती है....
और जेठालाल भी दया को देख के हंस देती है..
दया :- अरे में तो मज़ाक कर रही थी....और अपनी हँसी हँस देती है...
(गाइस जिस तरह वो हस्ती है...वो में टाइप नही कर सकता...सो आप इम्जीन ही कर लीजिए... )
जेठालाल :- लुच्ची....मुझे सब पता है...कि तू मज़ाक कर रही है...चल दया ...अब मुझसे रहा नही जा रहा...देख मेरे लंड को...कितना बुरा हाल हो गया है इसका....तड़प रहा है बेचारा...सुबह से....मेने कैसे संभाल के रखा है मुझे ही पता है...
दया :- सुबह से....क्यूँ...
जेठालाल :- घबराते हुए...अरे इसलिए तेरी याद आते ही ये खड़ा हो जाता है...और भाइईइ बात ही करती रहेगी...चल फटाफट कर...
बस इतना सुनते ही दया खड़ी होती है...जल्दी से अपनी साड़ी और पेटिकोट अलग कर देती है..और जेठालाल के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हो जाती है...
जेठालाल तो पहले से नंगा हुआ होता है....
दया को ऐसे नंगा देख...जेठालाल उसके करीब आता है...और
और उसे अपनी बाहों में कस के पकड़ लेता है...जिससे जेठालाल की छाती दया की चुचि से चिपक जाती है...और उसका लंड फड़फड़ाता हुआ...उसकी चूत पे तो कभी उसकी नाभि से टच कर रहा था.....
तभी जेठालाल ने उसकी गान्ड को पकड़ के मसल दिया.....दया के मुँह से हल्की सी सिसकिया निकलती है....अहह...आराम से....ओह्ह्ह....
दया :- देखिए...बस अब मुझसे रहा नही जा रहा...अब इस लंड से मेरी चूत को फाड़ दीजिए..टप्पू के पापा....
जेठालाल :- दया मुझसे भी नही रहा जा रहा....और अपना लंड चूत की दीवार पे सेट कर देता है...
दया :- अरे पलंग पे तो लेट जाते हैं...
जेठालाल :- नही...आज हम पलंग पे नही करेंगे..
जेठालाल की बात सुन के दया थोड़ा चौंक जाती है...
तभी दया के मुँह से एक चीख निकलती है....
क्यूंकी जेठालाल एक ही बार में पूरा का पूरा लंड चूत में उतार देता है....
दया :- अहह.......ओह.. उईईईईईईईई माआआअ......आराम से....
जेठालाल दया की बात नही सुनता...और उसकी एक टाँग हाथ से उठा लेता है...और धीरे धीरे धक्का लगाने लगता है....बहुत ही आराम आराम से धकके लगाना शुरू करता है...लंड...पूरा बाहर आता और फिर अंदर चला जाता...
दया :- अह्ह्ह्ह..ओह्ह टप्पू की पपपा....बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा है.....उऊओह....माआ....
मुझसे अब खड़ा नही हुआ जा रहा है...पलंग पे चलते हैं ना...
जेठालाल :- नही दया...आज पलंग पे नही...
दया :- तो फिर्र कहाँ...अहहह...
जेठालाल के धक्के लगने जारी थे....
दया :- रुकिये ना.....अब मेरे पैर कांप रहे हैं...मुझसे खड़ा नही हुया जा रहा..
जेठालाल :- ओहूओ...अच्छा...और फिर उसे एक आइडिया आता है...जो कि काफ़ी दिलचस्प होता है...
शायद आज तक ऐसी जगह पर नही चोदा होगा किसी को…
जेठालाल दया को उठा के उस जगह पे रख देता है जहाँ उसे वो अब चोदने वाला होता है....वो उसके दोनो पैरों को उठा कर उपर की तरफ रख देता है...और दया को खीच कर थोड़ा उपर की तरफ करता है जिसकी वजह से उसकी चूत जेठालाल के करीब आ जाती है...और उसका सर पीछे की तरफ हो जाता है...
जेठालाल :- अब मज़ा आएगा मेरी दया रानी...
और दया शरमाते हुए मुस्कुरा देती है...
बॅस अब जेठालाल के इंतजार का सब्र ख़तम हो रहा था...वो अपना लंड को दया की चूत पे सेट करता है...और अंदर धक्का मारने ही वाला होता है कि तभी...
तभी दया आगे की तरफ होकर पूरा का पूरा लंड अंदर ले लेती है...दोनो के मुँह से एक साथ आवाज़ निकलती है...
अहह दयययययययाआ............उईईईईईईईईईईईईईईईई माआआआआअ....टप्प्प्ुउ की पापााा.....
जेठालाल :- दया दया....क्या किया तूने..
दया :- सॉरी..
जेठालाल :- अरे डोबी सॉरी नही...मज़ा आ गया....ये तो तूने अच्छा तरीका ढूँढ लिया...
दया :- ह्म....तो फिर ऐसे ही करें...
जेठालाल अपनी गर्दन हाँ में हिलाता हुआ चालू हो जाता है...और अपना लंड एक ही बार में झटके से बाहर निकाल लेता है...जिससे दया फिर से पीछे लूड़क जाती है...
जैसे ही जेठालाल अपना लंड बाहर निकालता है...फिर से दया आगे की तरफ आ जाती है..और पूरा लंड एक ही बार में चूत में ले लेती है...और दोनो के मुँह से ऐसे ही सिसकियाँ निकलती रहती है.....
दोनो काफ़ी टाइम तक ऐसे ही एक दूसरे को चोदते रहते हैं...लंड गीली चूत की वजह से पूरी गीली हो चुका था.....पच पच पच पच की आवाज़ें और दोनो की अहह उूुउउ ओह....की आवाज़ें आ रही थी....
दया :- टप्पू के पापा...बॅस अब मुझसे रहा नही जा रहा...अहहहहा....अब में आने वाली हुन्न.....
जेठालाल :- दयया...मुझसे अब और खड़ा नही हुआ जा रहा..ऊहह...मेरा निकलने वाला है.....और में....गया.....अहह...ओह....
और अपना ढेर सारा गरम रस चूत के अंदर छोड़ देता है....
दया जेठालाल के गरम रस को नही झेल पाती और वो भी आआआअहह...माआअ....में..
भीईीईई गैिईईईईईई.....और अपना पानी छोड़ देती हाीइ.....
दोनो हान्फते हुए...एक दूसरे के उपर पड़ जाते हैं...
अब तक तो आप लोग समझ ही होंगे कि आज इन दोनो ने किस चीज़ पर चुदाई की है....!!!
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उधर अईयर के घर पे...
अईयर तो खर्राटे मार के सोया हुआ था...मगर बबीता की आँखो से नींद कोसों दूर थी....
उसको आज नींद नही आ रही थी..और उसकी वजह थी...सुबह की हुई ऑटो में घटना..सोचते सोचते उसे याद आ जाता है...कि कैसे जेठा जी मेरे बूब्स को मसल रहे थे...और अपने हाथ धीरे धीरे मेरी थाइस पर फिरा रहे थे...
इतना याद करते करते उसके हाथ अपनी चूत की तरफ बढ़ जाते हैं...और नाइट सूट के पाजामे के उपर से उसके उपर चलने लगते हैं...
उसको वो बात भी याद आ जाती है..जो आज कॉंपाउंड में लॅडीस टॉक चल रही थी...और जब माधवी भाभी ने भिड़े और खुद की चुदाई के बारे में बताया था....
अब उसका एक हाथ उसके बूब्स पर चला जाता है...और वो उसे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगती है....
जब वो अपनी चूत को मसल रही थी..तब उसे जेठालाल का चेहरा सामने आ रहा था...एक बार तो वो उसे हटाने की कॉसिश कर रही थी...
मगर जनाब जब सेक्स का नशा चढ़ता है तो कोई भी चेहरा उस वक़्त पसंद आने लगता है...
इसलिए बबीता जेठालाल के चेहरे को देखते हुए अब अपनी चूत को सहला रही थी.....अब उससे रहा नही गया...तो उसने एक बार अईयर की तरफ देखा..जो मुँह दूसरी तरफ कर के सो रहा था...
बबीता ने अपना लोवर नीचे किया और अपनी पैंटी भी घुटनो तक कर दी...और अपनी चूत पे हाथ रख दिया..
दोस्तों उसकी चूत की ये हालत थी..जैसे उसकी चूत में रस का टॅंकर हो...जो हमेशा लीक करता रहता है...वो हालत थी...
बबीता ने अपनी 2 उंगलियाँ एक ही साथ अंदर कर दी....और उसके मुँह से हल्की सी सिसकियाँ निकली..आह....और अब वो अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करने लगी...
दूसरे हाथ से उसने अपने टॉप के बटन खोल दिए और ब्रा के उपर से अपने बूब्स को दबाने लगी....
नीचे उसके हाथ की स्पीड तेज़ हो चुकी थी....उसकी उंगलियाँ उसके रस से पूरी तरह भीगी पड़ी थी...और वो सिसकियाँ ले रही थी....आह जेठा जी....और ज़ोर से करीई..आह...हाँ ऐसे ही...
वो काफ़ी धीरे बोल रही थी..इसलिए उसकी आवाज़ अईयर तो सुन नही सकता था...
अब उसकी हाथ की स्पीड काफ़ी तेज़ हो गई थी....वो अभी भी बोले जा रही थी..आहह ओह...जेठा जी....और ज़ोर से..अओह्ह्ह उईईइ माँ....बॅस में तो गई....और इतना बोलते ही...अपने रस का स्वाहह कर देती है...अपनी पीठ को उठा के कुछ झटके देती है...जब तक देती है..जब तक उसका सारा रस नही निकल जाता....
वो कुछ देर ऐसे ही शांत पड़ी रहती है....और फिर अईयर की तरफ देखती है..और मन में ही बोलती है..
अईयर अगर आज तुम मेरे साथ अच्छी तरह सेक्स रिलेशन रखते तो मेरा ये हाल ना होता...
अब उसे थोड़ा गिल्ट फील भी हो रहा था...कि उसने आज जेठा जी के साथ ऐसा किया...
लेकिन बाद में सोचा...कुछ ग़लत नही है ये...जब अईयर मुझे इस मामले में खुश नही रख सकता तो ये सब ठीक है...कम से कम इससे मुझे शांति तो मिलती है...
और फिर अपने कपड़े ठीक करके थोड़ी देर के लिए बाहर अपनी बाल्कनी में चली जाती है....
जब बबीता बाहर आती है...तो उस वक़्त घड़ी में 12:30 हो रहे थे...उसे बाहर आके बहुत अच्छा महसूस हो रहा था...
बबीता :- ओह्ह...वऊओ..कितनी ठंडी हवा चल रही है...कितना रिलॅक्स फील हो रहा होता है.....और वो फिर कुछ सोच में चली जाती है...
और तभी....
तभी सोसाइटी में कहीं से आवाज़ आती है...आआ.हह....ओह....उ
औचह.....प्लस्सस्सस्स....छोड़ोड... ऐसा मत्त्त कार्रूऊ...ह....मर् गैिईईई........
बबीता ये सब सुन के चौंक जाती है...बॅस कुछ सेकेंड्स के लिए ही ये आवाज़ें आती है और फिर बंद हो जाती है....
बबीता थोड़ी परेशान हो जाती है..और सोचती है कि ये आवाज़ें कैसी हैं..
बबीता :- शायद मेरा वहम है...अभी अभी...यही सब सोच रही थी...शायद इसलिए...
और फिर वो अपने घर के अंदर वापिस चली जाती है...
उधर जेठालाल और दया..चुदाई के बाद इतना थक गये थे कि वो लोग वहीं सो गये जहाँ उन्होने चुदाई की थी...रिलॅक्सिंग चेयर पे.....
और हाँ एक और बात.....जो कुछ बबीता ने सुना वो उसका वेहम नही था....कुछ तो गड़बड़ है इस सोसाइटी में...!!!
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गुड मॉर्निंग गोकुलधाम.....
सुबह सुबह मेहता साहब अपने घर के सोफे पे बैठ के कुछ लिख रहे थे...और गा रहे थे....
लिखते लिखते गाने का शौक उनका पुराना था...वो आज सेक्स पे आर्टिकल लिख रहे थे तो जाहिर है...कि गाना भी कुछ ऐसा ही होगा....
जब उनकी गाने की आवाज़ अंजलि घर के बाहर से आते टाइम सुनी तो बोल पड़ी...
अंजलि :- हाई तारक आज सुबह सुबह आप कैसे गाने गा रहे हैं...
तारक :- अंजलि अब आज का टॉपिक ही सेक्स लाइफ पे है तो क्या करूँ....कुछ आइडिया ही नही सूझ रहा है..
अंजलि :- आपको सेक्स लाइफ पे लिखने में कुछ नही सूझ रहा है....मज़ाक कर रहे हैं आप...
तारक :- अंजलि करने में और लिखने में बहुत फ़र्क है.....
सेक्स करते टाइम तो हम बॅस कर देते हैं...लेकिन लिखने में वो वर्ड्स..और जब तक वो फीलिंग्स नही आ जाती तब तक आर्टिकल नही लिखा जाता..
अंजलि :- आप और आपकी फिलोसफी.......मेरे तो सर के उपर से निकल जाती है..
तभी अंजलि के हाथ से कुछ समान नीचे गिर जाता है....और वो नीचे झुकती है तो उसका सूट जो डीप गले का होता है जिसकी वजह से उसकी चुचि की कुछ झलक दिख जाती है..
तारक मन में सोचता है....यार ये अंजलि सुबह सुबह ऐसा कुछ कर देती है..और मेरा लंड खड़ा हो जाता है...अब तो इसको चोदे बिना तो रहा नही जाएगा...
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उधर जेठालाल के घर पे....
जेठालाल डाइनिंग टेबल पे बैठ के चाइ पी रहा था.....और टप्पू सोफे पे बैठ के फोन पे गेम खेल रहा था..
जेठालाल :- टप्पू बेटा फोन ला जल्दी..
टप्पू :- पापा बस एक मिनट...
जेठालाल :- रोज़ तू एक मिनट एक मिनट करके...फोन की सारी बटेरी ख़त्म कर देता है....अरे दया..जल्दी रुमाल ला भाई देर हो रही है...
दया :- लाई.....
जेठालाल :- टप्पू अब फोन दे दे...मुझे लेट हो रहा है बेटा...
और तभी फोन की घंटी बज उठती है...
जेठालाल फोन उठा के..
जेठालाल :- हेल्लूओ ...
दूसरी तरफ से....में नट्टू काका बोल रहा हूँ गाड़ा एलेक्ट्रॉनिक्स से..
जेठालाल :- हाँ नट्टू काका बोलो..
नट्टू काका :- सेठ जी में कब्से आपको फोन लगा रहा हूँ...आप बार बार मेरा फोन क्यूँ काट रहे हैं..
जेठालाल :- अरे वो टप्पू मोबाइल में गेम खेल रहा है तो वो ही काट रहा होगा...अच्छा ये बताइए क्या काम था..
नट्टू काका :- सेठ जी में तो बस इसलिए फोन कर रहा था...कि आप आज दुकान आएँगे कि नही...
जेठालाल अपना मुँह बनाते हुए..
जेठालाल :- नट्टू काका...मेरी क्या आप अटेंडेँसे ले रहे हैं...हाजरी लगानी है आपको दुकान पे...जो ऐसे वाहियात चीज़े पूछनी है....में क्या रोज़ छुट्टी करता हूँ..
नट्टू काका :- सेठ जी..आप सेठ लोग है..आपका क्या भरोसा..
जेठालाल :- आईएईईए.....आप फोन रखिए में दुकान आ रहा हूँ...
और फोन कट कर देता है....
तभी जेठालाल टप्पू से फोन खिचने चला जाता है...टप्पू बचने के लिए सोफे से चिपक जाता है....
जेठालाल उसके हाथ से फोन खिचने की कॉसिश करता है..लेकिन उसके हाथ में नही आ पाता.....और फिर...टप्पू के हाथ से फोन सोफे के अंदर गिर जाता है.....
अब आगे देखते हैं ये फोन क्या गुल खिलाता है.....
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जेठालाल टप्पू से फोन छीनने की कॉसिश करता है....और उसकी वजह से फोन टप्पू के हाथ से गिर जाता है और सोफे के अंदर चला जाता है अब आगे....
जेठालाल को जब पता चलता है कि उसका फोन सोफे के अंदर चला गया और ज़ोर से चिल्लाता है....
जेठालाल :- टप्पूउूुुुुउउ.....ये देख नालयक क्या किया तूने...फोन अंदर गिरा दिया...
जेठालाल की ऐसी चीखने के आवाज़ सुन कर दया बाहर आती है..
दया :- क्या हुआ टप्पू के पापा...आप क्यूँ चिल्ला रहे हो...
जेठालाल :- ये देख तेरे बेटे ने क्या किया है...मेरा फोन सोफे के अंदर डाल दिया है...
टप्पू दोनो की बातों को ना सुनते हुए..सोफे के अंदर हाथ डाल के फोन ढूढ़ने की कॉसिश कर रहा था..
दया :- गिराया नही होगा...गिर गया होगा ग़लती से ... अभी डाँटती हूँ..
टप्पूअयू बेटा....
जेठालाल :- बसस्स टप्पू बेटा...ख्तम..इतना ही डांटना था....अकल है तुझमे...डोबी...
दया :- आप शांत रहिए...मिल जाएगा फोन...
जेठालाल :- क्या शांत रहिए...कितना ज़रूरी फोन आना है उसमे..पता है तुझे..
दया :- नहियीई.....मेरा मतलब है..रूकिए में कॉसिश करती हूँ...
टप्पू तू हट में कॉसिश करती हूँ..
टप्पू अपना हाथ हटा लेता है...और दया अपना हाथ सोफे के अंदर डाल के फोन ढूढ़ने लगती है...
जेठालाल :- मिला फोन दया...
दया :- एक मिनट ज़रा रूकिए..ढूँढ रही हूँ..
जेठालाल :- जल्दी ढूँढ भाई...
कुछ मिनट तक दया ढूँढती है लेकिन उसे नही मिलता ...तो वो अपना हाथ बाहर निकाल लेती है..
जेठालाल :- मिल गया?
दया :- नही मिला...
जेठालाल गुस्से में..
जेठालाल :- मुझे पता था....तुम माँ बेटे किसी काम के नही हो...दोनो को बस मेरा काम बिगाड़ना आता है...तू हाथ हटा वहाँ से...नॉनसेन्स...
और दया वहाँ से हट जाती है...
लेकिन वहाँ पे फिर बापूजी आ जाते हैं..
जेठालाल टप्पू को डाँट रहा होता है...
जेठालाल :- ये देख टप्पू...क्या किया तूने...
बापूजी :- ए जेठिया सुबह सुबह क्यूँ टप्पू को डाँट रहा है...
जेठालाल :- देखिए ना बापूजी...इस टप्पू ने मेरा फोन सोफे के अंदर डाल दिया है....अब मिल नही रहा है...
बापूजी :- तो इसमे गुस्सा करने वाली क्या बात है....रुक मेरा हाथ पतला और लंबा है... में कॉसिश करता हूँ...
दया :- हाँ बापूजी आप कॉसिश करिए...
जेठालाल दया को नोचते हुए....तू चुप रह ना भाई....
दया चुप हो जाती है...
और बापूजी अपना हाथ सोफे के अंदर डाल देते हैं…
दूसरी तरफ से टप्पू बार बार बोल रहा था...मिला दादाजी....मिला फोन..
बापूजी फोन निकालने में लगे हुए थे....थोड़ी देर बाद वो चिल्लाते हैं....
बापूजी :- आईईई जेठियाआआआआ.....
जेठालाल :- अरे वाहह फोन मिल गया...कमाल हो गया ...
दया :- वाहह बापूजी....
और सब तालियाँ बजाने लगते हैं...
बापूजी :- आईए बपुचक.....फोन नही ...मेरा हाथ फस गया है...निकल नही रहा...
सब के मुँह से एक साथ निकलता है..
क्य्ाआआ......
जेठालाल :- बापूजी....आपका हाथ कैसे फँस गया...कॉसिश करिए निकालने की...
बापूजी :- बाबूझक वही तो कर रहा हूँ...मगर नही निकल रहा है...
दया :- हे माँ माताजी....अब क्या होगा..
जेठालाल :- ये देख टप्पू तेरी वजह से...क्या हो गया आज..
टप्पू :- सॉरी दादाजी...सॉरी पापा...
बापूजी :- जेठिया टप्पू को डांटना बंद कर....और मेरा हाथ निकालने की कॉसिश कर्र....
जेठालाल बापूजी का कंधा पकड़ के हाथ खिचने की कॉसिश कर रहा होता है...जिसकी वजह से बापूजी जेठालाल के वजन की वजह से नीचे की ओर दब जाते हैं..
बापूजी :- आई जेठिया हट हट मेरे उपर से...
जेठालाल हट जाता है और बोलता है...क्या हुआ बापूजी..
बापूजी :- आई बापूजी वाडी...तू मेरा हाथ निकाल रहा है...या मुझे अपने नीचे दबा रहा है....तू रहने दे...में अपने आप कॉसिश करता हूँ...
टप्पू :- क्मोन दादाजी...आप निकाल सकते हैं...
बापूजी काफ़ी देर कॉसिश करते हैं..लेकिन वो निकाल नही पाते...और थक के वैसे ही बैठ जाते हैं...
जेठालाल दया और टप्पू तीनो ही चिंता में थे..तभी जेठालाल को आइडिया आया....
जेठालाल :- दया जल्दी चाकू ला .... काट देते हैं..
दया :- हीय्यी माँ माताजी....टप्पू के पापा आप क्या कह रहे हैं....इतनी छोटी सी बात पे आप बापूजी का हाथ काट देंगे...
बापूजी :- हैंन्णणन्....
जेठालाल :- नही बापूजी.....ये नॉनसेन्स दया.....में हाथ काटने की नही ... सोफा काटने की बात कर रहा हूँ...
दया :- अच्छा....अभी लाती हूँ...
बापूजी :- नही...सोफा काटने की ज़रूरत नही है...में फिर से कॉसिश करता हूँ...
दया :- हाँ बापूजी थोड़ा उधर ..हाँ थोड़ा इधर..
जेठालाल :- तुझे क्या सोफे के अंदर के रास्तों का पता है....रोज़ क्या वहाँ टहल कर आती है...जो बोल रही है..इधर उधर...
दया :- क्या...क्या...कुछ समझ नही आया..
जेठालाल :- तू चुप रह ना नॉनसेन्स...
इधर जेठालाल का फोन पे फोन बजे जा रहा था...
फिर से ये फॅमिली शुरू हो जाती हैं बापूजी का हाथ बाहर निकालने के लिए....काफ़ी बापूजी को उल्टा करते हैं...कभी उनका हाथ बाहर खिचने की कॉसिश करते हैं....
फिर दया बोलती है...
दया :- एक काम करते हैं..सोफे को उल्टा करते हैं...शायद उससे हाथ बाहर आ जाए..
जेठालाल :- हाँ एक बार ये भी ट्राइ करते हैं..
और फिर तीनो आराम आराम से सोफे को उल्टा करते हैं...तभी नीचे से आवाज़ आती है..
बापूजी :- आईई जेठियाआआआआ....
जेठालाल :- दया डोबी...जल्दी से सोफा उपर कर लगता है बापूजी को सांस नही आ रहा है...
जैसे भी सोफे को उपर करते हैं...बापूजी अजीब सी पोज़िशन में ज़मीन पर लेटे होते हैं...और उनका हाथ भी सोफे के अंदर से निकला हुआ होता है....
जेठालाल बापूजी को उठा के सोफे पे वापिस रखता है...
जेठालाल :- बापूजी आप ठीक हैं...
बापूजी :- जागते हुए...हाँ हाँ..में ठीक हूँ...मगर तेरा फोन अभी भी वहीं है...
तभी जेठालाल का फोन बजने लगता है....
दया :- फोन उठाइए....उठाते क्यूँ नही..
जेठालाल :- तेरे में अकल है....नॉनसेन्स....फोन सोफे के अंदर है कैसे उठाऊ...
दया :- पता नही कौन है फालतू जो सुबह सुबह फोन कर रहा है..
जेठालाल :- फालतू...अरे ज़रूरी काम होगा तभी फोन कर रहा है ना...
दया :- सॉरी..
बापूजी :- जेठा क्यूँ बहू पे गुस्सा कर रहा है...
जेठालाल :- बापूजी इसे देखिए ना..कैसे वाहियात....
बापूजी :- छुउऊुउउ...शांत रह बस...बहुत हो गया...
तभी वहाँ से सोढी घर के अंदर आ जाता है...और सब को नमस्ते करता है...
और जेठालाल का फोन फिर से बज उठता है...
जेठालाल :- ये लो...पता नही कौन फोन कर रहा होगा...
सोढी :- जेठा प्रा आपका फोन बज रहा है ...आप उठा क्यूँ नही रहे हो...
जेठालाल :- सोढी कैसे उठाऊ..ये टप्पू ने फोन सोफे के अंदर डाल दिया है...
सोढी :- ये लो बस इतनी से बात अभी निकाल देता हूँ....चंपक चाच्चा आप ज़रा खड़ा होना...
और सोढी सोफे को उपर उठाता है...और नीचे से सोफे के कवर को फाड़ देता है...और फोन को निकाल देता है...
सोढी :- ये लो जेठाप्रा फोन...और हाँ इसका खर्चा 500 रुपये हैं...
जेठालाल :- थॅंक यू सोढी...थॅंक यू..
और सोढी जाने लगता है..
जेठालाल :- अरे सोढी...कहाँ जा रहा है...कोई काम से आया होगा ना...
सोढी :- अरे हाँ वो तो में भूल ही गया था...में ये कॅलंडर देने आया हूँ...अच्छा जी चलता हूँ...
और सोढी चला जाता है...
जेठालाल अपने फोन में देखता है...12 मिस्ड कॉल होती हैं...वो फटाफट फोन लगाता है.....
जी हमरेश भाई.... ... वो क्या था ना फोन मेरे बेटे से सोफे के अंदर चला गया था..इसलिए फोन नही उठा पाया... हाँ बोलो.....
अच्छा....अच्छा....हाँ हाँ बिकलूल....हाँ हम रेडी ही हैं...ओहकक...फिर...
और जेठालाल अपना हँसता हुआ चेहरा बना कर....मज़ा आएगा....
क्या बात हुई जेठालाल की फोन पे....नेक्स्ट अपडेट में....!!!!
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फोन मिलने और उस पर बात करने के बाद जेठालाल काफ़ी खुश लग रहा था...और वो कुछ बताने मेहता साहब के घर निकल पड़ा था....
सीडियाँ से उतरते हुए...वो नीचे कॉंपाउंड पे पहुँच चुका था...सामने भिड़े बोर्ड पर सुविचार लिख रहा था...
जेठालाल :- आई भिड़े....भिड़ी...
भिड़े :- हाँ जेठालाल...
जेठालाल :- ज़रा इधर तो आना...
भिड़े :- हाँ आता हूँ..
और भिड़े जेठालाल की तरफ चल देता है..
भिड़े :- हाँ बोलो जेठालाल .... आज सुबह सुबह मुझे कैसे याद किया तुमने...
जेठालाल :- आई चपली....ज़रा शांत रख ना....मुझे सिर्फ़ ये बताना है...
और वो भिड़े को फोन पे की हुई बातें बता देता है...
भिड़े सुन के खुश हो जाता है...
भिड़े :- अरे वाहह जेठालाल....तुमने सुबह सुबह मस्त न्यूज़ दे दी...अच्छा तो में सोढी और अईयर को बता दूँगा..
जेठालाल :- हाँ ठीक है...और में पोपटलाल और मेहता साहब को बता दूँगा....
और फिर जेठालाल मेहता के गेट के पास पहुँच के बेल बजाने ही वाला होता है कि अंदर से.....
अंदर से अहह...ओह....तराक्क...
अहहाहहा.....औरर्र तेज़्ज़्ज़.....ह्म...
आवाज़ें आ रही थी...
जेठालाल मन में....ये आज कल मेहता साहब को क्या हो गया है...सुबह सुबह के चालू हो जाते हैं...और गेट भी बंद नही करते....अंदर झाँक के देखूं क्या..नही नही...मेहता साहब को बुरा लग जाएगा....
नही बुरा लगेगा ...बोल दूँगा..गेट खुला था ... हाँ..यही ठीक रहेगा..
और फिर जेठालाल हल्का सा गेट खोल के अंदर झाँकता है...अंदर का नज़ारा देख के जेठालाल का लंड अंडरवेर के अंदर जाग कर खड़ा हो जाता है...और पैंट के उपर से सॉफ दिखाई देने लगता है.....
अंदर का नज़ारा इस तरह था...
अंजलि गेट के सामने वाले सोफे पर थी...उसकी टाँगे सोफे के दोनो साइड पर थी..उसकी पाजामी नीचे थी पंजो तक..और तारक की पैंट नीचे थी...और वो अंजलि के उपर चढ़ा हुआ था..
तारक अंजलि की चूत में बहुत तेज़ी से धका धक धक्के लगा रहा था...अंदर बाहर अंदर बाहर...
तारक :- अंजलि..आह....उफफफ्फ़....मज़ा आ रहा है...
अंजलि :- अहह तारक.....मज़ाअ.....अरे....स्वर्ग्ग जैसीए आनंद मिल रहा हाइईइ.....और तेज़्ज़.....ओह...ह्म....और तेज़्ज़्ज़..अहह......उफफफफफफफ्फ़...
तारक की स्पीड बढ़ जाती है....और वो अब बहुत तेज़ी से लंड को अंदर बाहर करने लगता है....लंड पूरा अंदर और पूरा बाहर आने लगता है...
तारक :- अंजलि...में आ रहा हुन्न...अह्ह्ह्ह
अंजलि :- तारक में भी...गेयीयी....
और दोनो चीखते हुए अपना रस पान कर देते हैं....और हान्फते हुए एक दूसरे के उपर गिर जाते हैं…
तभी पीछे से आवाज़ आती है...मेहता साहब...!!!!
उस वक़्त तारक अंजलि को और अंजलि तारक को घूर घूर के देख रहे थे.....
अंजलि धीमी अवज़ में.....तारक कौन आ गया....हे भगवान....अब क्या करें..जो भी है उसने हमे देख लिया है...
तारक भी धीमी आवाज़ में...अंजलि घबराव मत देखता हूँ कौन है तुम ऐसे ही लेटी रहो...
वो क्या था कि अंजलि जिस तरह पड़ी थी वो देख नही सकती थी.कि तारक के पीछे कौन है....और तारक तो सिर्फ़ अंजलि को ही देख सकता था....
तभी फिर से आवाज़ आई.....मेहता साहब...आज फिर से आपने गेट खुला छोड़ दिया......कम से कम गेट तो बंद कर के ये काम किया करो...
और इतना बोलते ही तारक समझ जाता है कि पीछे कोई और नही...जेठालाल खड़ा है....और वो अंजलि को बोलता है...
तारक :- अंजलि जेठालाल है..
अंजलि :- थॅंक गॉड...कम से कम कोई और तो नही है...लेकिीन फिर भी तारक मुझे तो बहुत शरम आ रही है..उस दिन तो हम इस हालत में नही थे..एक काम करो..आप सीधे खड़े हो जाओ मेरे सामने आकर....इतनी देर में अपना पाजामा उपर कर लूँगी...
तारक हाँ में मुन्डी उठाता है...
जेठालाल :- अरे मेहता साहब आप आराम से कपड़े पहन लो में उल्टा मूड जाता हूँ...
और जेठालाल उल्टा मूड जाता है...
ये देख के अंजलि और तारक को थोड़ी राहत की सांस मिलती है...और दोनो अपने फटाफट कपड़े पहन लेते हैं...
तारक :- हाँ तो भाई जेठालाल आज सुबह सुबह कैसे आना हुआ...
जेठालाल मुड़ते हुए....मेहता साहब..आप भी ना..गेट तो बंद कर लिया करो...और आज सुबह सुबह...मूड में आ गये...
अंजलि जेठालाल की बात सुन के शर्मा जाती है....और बोलती है....क्या जेठा भाई आप भी...
तारक :- अरे काहे का रोमॅन्स सुबह सुबह...वो क्या है ना जेठालाल आज मुझे सेक्स पे आर्टिकल लिखना था...और वो फील नही आ रहा था इसलिए बॅस वो फील लाने के लिए करना पड़ा....
अंजलि ये सुन के आग बाबूला हो जाती है...
अंजलि :- अच्छा तो मेरे उपर एक्सपेरिमेंट किया जा रहा था....जेठा भाई इन्होने मुझे चुहिया बना रखा है चुहिया...
जेठालाल :- चुहिया.....ग़लत बात मेहता साहब...
अंजलि :- हाँ अब आना रात को बताउन्गी...और अपना मुँह टेडा कर के अंदर चली जाती है...
तारक :- अंजलि अंजलि...सुनो तो यार...
लेकिन अंजलि उसकी एक नही सुनती..
जेठालाल :- नाराज़ कर दिया आपने भाभी को..
तारक :- ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है...क्या ज़रूरत थी ये पूछने की मेहता साहब सुबह सुबह रोमॅन्स कर रहे हो..
जेठालाल :- सॉरी मेहता साहब..
तारक :- अरे मज़ाक कर रहा हूँ...छोड़ो...अच्छा ये बताओ...यहाँ कैसे आना हुआ..
जेठालाल :- अरे हाँ वो तो बताना भूल गया....मेहता सुबह सुबह एक गुड न्यूज़ है..
तारक :- पार्टी की डेट पता चल गई है ना...
जेठालाल :- अरे आप तो अंतर्यामी हो...हाँ परसो की है डेट...मेने आपको बता दिया है...आप पोपटलाल को बता देना ...बाकी को पता है..
तारक :- अरे बिल्कुल ..... अब आज रात को सोढी की दुकान पे सारी बातें क्लियर कर लेंगे....
जेठालाल :- बिल्कुल....और हाँ भाभी को मना लेना...
तारक :- उसकी चिंता मत करो..अंजलि का गुस्सा अभी शांत हो जाएगा....
और फिर जेठालाल तारक के घर से बाहर निकल जाता है...दुकान जाने के लिए......!!!!
जेठालाल दुकान के लिए निकल गया था...
जैसे ही वो बाहर कॉंपाउंड में आया...उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा...जी हाँ...सामने बबीता खड़ी थी...
और बबीता को देख के तो जेठालाल की हालत ऐसी हो जाती है...जैसे किसी भूके को खाना मिल गया हो..
वो भागता हुआ..बबीता के पास पहुँचा...
जेठालाल :- बबीता जी...गुड मॉर्निंग..
बबीता :- मुस्कुराते हुई..गुड मॉर्निंग जेठा जी.....
जेठालाल :- और तो कहाँ चली सवारी सुबह सुबह...
बबीता :- जीई बॅस वो एक फ़्रेंड के यहाँ जा रही हूँ...
जेठालाल :- ओहू...अईयर भाई भी जा रहे हैं...आपके साथ...
बबीता :- नही अईयर तो आज घर पे नही है..इसलिए में अकेली ही जा रही हूँ...
जेठालाल ये सुन के फूले नही समाता .... वो सोचता है....कि आज फिर से वो बबीता जी के साथ ऑटो में जाएगा....
जी हाँ बताना तो भूल गया...वैसे आज बबीता ने एक चेक की शर्ट पहनी थी..जिसका उपर का बटन खुला था...और नीचे जीन्स पहनी थी...जो काफ़ी चिपकी हुई थी उसके बॉडी से...और उसकी जाँघ और गान्ड काफ़ी उभर के नज़र आ रही थी...
बबीता :- चुटकी बजाते हुए.....कहाँ खो गये जेठा जी आप....
जेठालाल :- सोच में से निकलते हुए...नही...बॅस...तो कहाँ जाना...
बबीता :- वो मुझे ****** रोड पे जाना है...
जेठालाल का मुँह लटक जाता है...क्यूँ कि वो उसकी दुकान के दूसरी तरफ था....
जेठालाल :- ओफूऊ....
बबीता :- क्यूँ क्या हुआ??
जेठालाल :- आप को लिफ्ट दे देता तो मेरा भी टाइम पास हो जाता...
बबीता शर्मा जाती है...उसे उस दिन की ऑटो वाली बात याद आ जाती है...
बबीता :- ओह्ह्ह...नेक्स्ट टाइम आप लिफ्ट दे दीजिएगा....ओके...अब में चलती हूँ..लेट हो रही है..ब्बबयए...
जेठालाल :- ओहकक बयए......
और मन में सोचता है....आज वो अईयर इडली नही था..आराम से मज़े करता बबीता जी के साथ...लेकिन उनको कहीं और जाना था...चलो जैसे जिसकी किस्मत...
और ऑटो पकड़ के वो भी दुकान पे पहुँच जाता है…
जेठालाल :- ओहकक बयए......
और मन में सोचता है....आज वो अईयर इडली नही था..आराम से मज़े करता बबीता जी के साथ...लेकिन उनको कहीं और जाना था...चलो जैसे जिसकी किस्मत...
और ऑटो पकड़ के वो भी दुकान पे पहुँच जाता है...
दुकान के अंदर पहुँचते ही...देखता है...बाघा फोन ठीक कर रहा होता है....और नट्टू काका नही होते दुकान पे...
जेठालाल :- आई बाघा नट्टू काका कहाँ है..
बाघा :- आ गये सेठ जी....गुड मॉर्निंग...और वो नट्टू काका...गॉडाउन में गये हुए हैं..काफ़ी देर हो गई है उन्हे...
जेठालाल :- अच्छा....गॉडाउन में क्या कर रहे हैं....ज़रा बुला के ला उन्हे...मुझे कुछ काम है उनसे..
बाघा :- अच्छा सेठ जी ... ये फोन बस ठीक होने ही वाला है....उसके बाद बुला के लता हूँ....
जेठालाल :- रहने दे भाई..में ही जाता हूँ...तू ठीक कर फोन..
उधर गॉडाउन में...
गोडोवन् में नट्टू काका खड़े थे...और कुछ कर रहे थे...कोई उन्हे देख नही सकता था कि वो क्या कर रहे हैं...
तभी उनकी आवाज़ आई....आहह......अफ...मयी गॉड्ड्ड...
जी हाँ नट्टू काका...मूठ मार रहे थे...उन्होने पैंट की जिप नीचे कर के अपना लंड हाथ में ले रखा था और वो उसे हिला रहे थी...
अह्ह्ह्ह.....आपकी चूत बहुत अच्छी है...आहह.....सो मच ऑफ वॉटर कौमिंग आउट फ्रॉम युवर चूत....मज़ा आ रहा है.....
नट्टू काका किसी की चूत के बारे में सोच सोच कर मूठ मार रहे थे....
वो झड्ने के बेहद करीब थे...उनके मुँह से उस औरत का नाम निकला जिसकी चूत के बारे में सोच के वो मूठ मार रहे थे...की तभी पीछे से आवाज़ आई....
नट्टू ककाअ.....
नट्टू काका आवाज़ सुन के घबरा गये...उनकी हालत खराब हो गई...उनको लगा आज तो गये काम से....
किसकी आवाज़ थी....ह्म...अगले अपडेट में पता चलेगा...कि नट्टू काका का क्या होगा अब और कौन है वो औरत जिसकी बारे में वो सोच रहे थे....!!!!!
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जैसे ही पीछे से आवाज़ आई..नट्टू काका.....
वो हड़बड़ाते हुए पीछे मुड़े.....उनका तना हुआ लंड ...अब डर की वजह से मुरझा गया था...
वो जैसे ही पीछे मुड़े ..... उनके सामने खड़ा था....बाघा.....
नट्टू काका :- ओह्ह माइ डियर भतीजे...तूने तो आज मेरी जान हे निकाल दी थी....मुझे लगा सेठ जी आ गये हैं..
बाघा :- नट्टू काका ये आप गॉडाउन में क्या कर रहे हो....और उसने नट्टू काका के लंड पे अपनी उंगली से इशारा करते हुए कहा..
नट्टू काका अपना लंड अंदर करना ही भूल गये थे...बाघा के इशारे को समझते हुए....फटाफट उन्होने अपना लंड अंदर कर लिया....
बाघा :- नट्टू काका ये सब क्या है...दुकान पे ये सब..कोई देख लेता तो...घर पे टाइम मिलता तो है...
नट्टू काका :- बाघा बॉय.....आज कल घर पे में नही कर पा रहा ....और आज किसी की याद आ गई तो में अपने आप को नही रोक पाया....तुझे तो पता है ना..मुझसे कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल होता है....
बाघा :- वो में जानता हूँ ..... कि आपसे कंट्रोल नही होता..लेकिन फिर भी यहाँ अगर कोई देख लेता तो गड़बड़ हो जाती..
नट्टू काका :- लेकिन तू आया ना...सेठ जी तो नही आए ना तो फिर्र..
बाघा :- सेठ जी आ चुके हैं...और वो मुझसे पहले गॉडाउन जाने के लिए निकल गये थे....
नट्टू काका :- क्या......कहीं तुझसे पहले उन्होने मुझे ऐसे द्देख तो नही लिया...ओह्ह माइ गॉड...ये तो गड़बड़ हो गई...
बाघा :- आप टेन्षन मत लीजिए...उन्होने नही देखा है...
नट्टू काका :- टेल मी इन क्लियर वे माइ बॉय...
बाघा :- ओके नट्टू काका.....
वो हुआ यूँ था कि में मोबाइल ठीक कर रहा था...तो सेठ जी ने बोला कि में ही चला जाता हूँ गॉडाउन में आपको बुलाने.....और वो दुकान से बाहर निकल गये...
मेने अपना काम ख़तम किया...और सोचा चलो थोड़ी देर बाहर ही खड़ा होता हूँ....जब बाहर आया तो देखा...कि सेठ जी वहीं दुकान के बाहर खड़े थे और वो ढंजी सेठ हैं ना उनसे बात कर रहे थे...में तभी सेठ जी के पास गया और उनसे पूछा...
सेठ जी आप नही गये नट्टू काका को बुलाने..
जेठालाल :- तुझे नही दिख रहा है भाई...में यहाँ बात कर रहा हूँ...तू जा और बुला के ला...
और फिर में आ गया...और देखा कि आप यहाँ ये सब कर रहे हैं..
नट्टू काका :- थॅंक गॉड.....बच गये आज तो…
बाघा :- हाँ नट्टू काका आप आज तो बच गये...लेकिन हर बार नही बचोगे...इसलिए आज से घर पे ही करिएगा यहाँ नही...
नट्टू काका :- हाँ बिल्कुल...नेक्स्ट टाइम..आइ डू इन होम ओन्ली...
बाघा :- वैसे नट्टू काका....में जब अंदर आया तो आपने उस औरत का नाम लिया..लेकिन मुझे कुछ ढंग से समझ नही आया....बताइए ना......
नट्टू काका :- किसी को बताएगा नही ना माइ बॉय....
बाघा :- बिल्कुल नही...
नट्टू काका :- वो है ना अपनी पद्मिनी भोजनालय की मालकिन ...पद्मिनी .... उसको सोच के...
बाघा :- हाहहहः....ओह्ह्ह्ह क्या बात है नट्टू काका....वैसे वो है भी बहुत मस्त.....शादी भी नही हुई है उसकी...मस्त चूत होगी उसकी...
नट्टू काका :- देख बाघा...अब दुबारा गरम मत कर...नही तो गड़बड़ हो जाएगी...चल फटाफट दुकान चलते हैं...सेठ जी इंतेज़ार कर रहे होंगे.....
और दोनो दुकान की तरफ चल देते हैं.....
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उधर सोसाइटी में....!!
दया :- बापूजी में ज़रा हाथी भाई के घर जा रही हूँ...
बापूजी :- क्या हुआ बहू ...तबीयत खराब है क्या तेरी...
इससे पहले दया कुछ बोल पाती...फोन बज जाता है...और बापूजी फोन उठाते हैं...
बापूजी :--
हेलूओ...!!!
हाँ नंजी बोल...
अच्छा...
हाँ हाँ बिल्कुल...
बस आधे घंटे में ...मिलता हूँ...
पार्क में..
ठीक है....
हाँ भाई .. सब रख लूँगा...
चल ठीक है...!!!!
फोन की कन्वर्जन ख़त्म हो जाती है...
दया :- क्या हुआ बापूजी....
बापूजी :- वो में अपने यंग ओल्ड ग्रूप के साथ ******* के दर्शन के लिए जा रहा हूँ...तो 5 दिन के बाद आउन्गा.....
दया :- अरे वाह बापूजी...अच्छे से दर्शन कीजिएगा...
बापूजी :- में जेठिया को बता देता हुन्न..
दया :- बापूजी आपको देर हो रही होगी...आप जाइए में बता दूँगी...अच्छा तो बापूजी में जाऊ हाथी भाई के घर पे..
बापूजी :- अरे हाँ तेरी तबीयत खराब हो गई है क्या बहू..
दया :- नही बापूजी.....वो आज सारी लॅडीस लोग वहाँ मिल रहे हैं...तो इसलिए...
बापूजी :- अच्छा अच्छा...हाँ हाँ जा बहू..
दया :- बापूजी आपको कोई समान की ज़रूरत तो नही है ना...
बापूजी :- नही बहू तू जा आराम से मेरा सारा समान निकला ही हुआ है....
दया :- ठीक है बापूजी....********
बापूजी :- ********* बहू....!!!!
और दया हाथी के घर की तरफ निकल पड़ती है.....!!!!!
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बापूजी का फोन आया और वो कहीं जाने के लिए निकल पड़ा...और उधर दया डॉक्टर हाथी के घर के लिए निकल पड़ी....अब आगे...
दया सीडियो से उतर के डॉक्टर. हाथी के अपार्टमेंट की तरफ जाने लगी...सफ़ी औरतें उसके घर के बाहर ही खड़ी थी और आपस में बात चीत कर रही थी....
सभी दया को देख के...बोल पड़ी..
दया भाभी कहाँ रह गये थे आप..
दया :- सॉरी....वो क्या है ना बापूजी अपने ग्रूप के साथ जा रहे हैं तो इसलिए थोड़ी देर हो गई .. सॉरी..
अंजलि :- कोई बात नही दया भाभी..अब चलें अंदर...
इधर डॉकटर हाथी के घर के अंदर का माहौल 10 मीनल पहले कुछ ऐसा था...
आज डॉक्टर हाथी का लंड अपने पूरे उफान पे था....उसका लंड आज पूरी तरह खड़ा था...कम से कम 10 इंच और 6 इंच मोटा था...
लेकिन अपने भारे शरीर के कारण सिर्फ़ 6 इंच ही अंदर जा सकता था....लेकिन 6 * 6 का लंड बहुत होता है....
कोमल को जब पता चला कि उनका आज पूरा खड़ा है..तो वो पागल हो गई..
कोमल :- हंस आज तो कमाल हो गया...अब यही सोच के में बहुत गरम हो चुकी हूँ...अब फटाफट मेरी इस चूत की प्यास भुजा दो..
डॉक्टर हाथी :- क्यूँ नही कोमल... और अपनी पेंट को उतार देता है...
कोमल अपने सार कपड़े उतार देती है...वो पूरी नंगी हो जाती है...
उसका नंगा शरीर ऐसा लग रहा था...जैसे किसी ने उसके आगे...2 बड़े बड़े साइज़ के तरबूज़ लगा दिए हों..इतने बड़े चुचे हैं उसकी...और पीछे का इतना बड़ा था कि उसमे एक बच्चा समा जाए.......
वो फटाफट बिना लंड को चूसे सीधे जाके धडाम से उसके लंड पे बैठ गई...जिससे कोमल के मुँह से हल्की सी आह निकली.......और डॉक्टर हाथी के मुँह से भी हल्की सी आहह निकली....
दोस्तों एक ही बार में इतना मोटा लंड कोमल अपने अंदर ले चुकी थी....हैरान क्यूँ है...
कोमल की चूत का साइज़ भी तो इतना बड़ा था...तभी तो एक हाथी का लंड ले पा रही है...
वो इतने दिन की प्यासी थी...कि वो ढका धक उछल रही थी.....कुर्सी पूरी तरह हिल रही थी....जब दो दो इतने मोटे लोग एक ही कुर्सी पर होंगे तो सोचिए कि कुर्सी का क्या होगा...
कोमल अब उपर नीचे हो रही थी...उसके चुचे बुरी तरह हिल रहे थे...डॉक्टर हाथी ने फिर अपना मुँह उसके चुचों पे घुसा दिया...और अपने मुँह से मसलने लगे..
कोमल :- अहह...ओह्ह्ह...उईईई...आहू....मज़ा आ गया हंस....आहह...बहुत दीनो के बाद ऐसा सुकून मिल रहा है...अहह...
डॉक्टर हाथी :- कोमल में बस झड्ने वाला हूँ....और तेज़ हिलो..आह..मज़ा आ रहा हाईईईईई....
कोमल :- में भी हंस बस झड्ने वाली हूँ.... और वो और तेज़ी से लंड पे उछलने लगती है....
अब 10 मिनट के बाद...सारी औरतें..अंदर आने को होती हैं...
बात चीत करते हुई...वो लोग अंदर आते हैं....
माधवी :- कोमल भाभी...कोमल भाभिइ...
और वो लोग जाके लिविंग रूम में पहुँच जाते हैं...तभी....
तभी...उनको एक बहुत तेज़...धडाम की आवाज़ आती है...सभी लोग घबरा जाते हैं....
ये आवाज़ क्लिनिक से आई होती है...
वो सारे उस तरफ भागते हैं...
और क्लिनिक के अंदर पहुँच जाते हैं..
और अंदर का हाल देखते ही...एक साथ...चीख पड़ते हैं...कोमल भाभी....ये सब क्य्ाआआआ......
किस चीज़ की आवाज़ थी....जिसे सुन के सब अंदर आ गये...जिसकी वजह से कोमल और हाथी का सेक्स दर्शन हो गया सबको...
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सभी लॅडीस हाथी के घर पे आई हुई थी...उधर क्लिनिक में हाथी और कोमल चुदाई कर रहे थे....तभी वहाँ से एक बहुत ज़ोर की आवाज़ आती है...और सभी लेडीज़ क्लिकनिक में पहुच जाती है...अब आगे......
सभी लॅडीस हाथी के क्लिनिक में आके चौंक जाती है...
सभी के हाथ उनके मुँह पर चले जाते हैं....कुछ मिनट तक सन्नाटा सा छा जाता है...
कोमल सभी लॅडीस को एक टक देख रही थी...और सभी लॅडीस कोमल को एक टक देखे जा रही थी....
तभी अंजलि ने चुप्पी थोड़ी..
अंजलि :- ये क्या कोमल भाभी....आप ठीक तो हो ना..
दया :- हाँ...आपको कहीं लगी तो नही..और ये सब...
माधवी :- हाँ कोमल भाभी...लगी नही ना आपको.....और ये आवाज़ कैसी थी..
कोमल :- ओह माइ गोद...आप लोग यहाँ ... एक काम कीजिए आप लोग बाहर बैठिए ... में अभी कपड़े पहेन के आती हूँ...
सभी लॅडीस बाहर चली जाती है...
दया :- हंसते हुई.....अंदर देखा कोमल भाभी को...
रोशन :- हाँ रे बावा....देखो तो कोमल भाभी को..और वो भी हँसने लगती है...
अंजलि :- आप लोग ऐसे क्यूँ हंस रहे हैं....ठीक है...कोमल भाभी भी तो औरत है...
माधवी :- हंसते हुए....हाँ वो ठीक है अंजलि भाभी...लेकिन अपने देखा नही अंदर का नज़ारा....
और सभी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते हैं....तभी..
तभी कोमल वहाँ लिविंग रूम में आ जाती है....वो अपना सर नीचे कर के आ रही थी..
दया :- क्या हुआ कोमल भाभी...
सभी लॅडीस उसे छेड़ने लगती है...
कोमल परेशान होकर..
कोमल :- ओह्ह्ह कम्मोन..... आप लोग तो ऐसे बोल रहे हैं..जैसे अपने कुछ भूत सा देख लिया हो....आज इतने दिनो के बाद हंस मूड में आए थे...तो रहा नही गया...
दया :- ओहू...क्या बात है कोमल भाभी ... आज तो आपके मज़े आ गये...
कोअमल :- ओह्ह दया भाभी आप भी ना.....
माधवी :- लेकिन कोमल भाभी....वो नज़ारा जो हमने देखा वो कैसे हुआ....और वो आवाजज...
कोमल :- आप सबको जानना है कि कैसे हुआ...
सभी एक साथ बोलते हैं...हाँ..
कोमल :- ठीक है..
वो क्या हुआ था...कि हम लोग एक हे कुर्सी पर थे....और...
वो शर्मा रही थी बताने में...लेकिन फिर भी धीरे धीरे बता रही थी...
एक कुर्सी पर थे...वजन बहुत ज़्यादा हो गया था..लेकिन उस वक़्त ध्यान नही दिया...और में...और में...कुछ ज़्यादा तेज़ उछलने लगी...जिसकी वजह से कुर्सी टूट गई और हम दोनो नीचे गिर गये...और आप लोगों को वो आवाज़ सुनाई दे गई..
माधवी :- और उस आवाज़ से हमे भी पता चल गया ... कि अंदर क्या कार्य चल रहा है...
और सब हँसने लगते हैं..
अंजलि :- अच्छा ये सब छोड़ो अब....चलो काम की बातें कर लेते हैं...
कोमल :- हाँ अंजलि भाभी आप ठीक बोल रहे हो....
वो बात को बदलना चाहती थी...
सभी समझ गये...और अब कुछ नही बोले...और वहाँ सोफे पे बैठ के बात करने लगे…
दया :- वैसे बहुत दिन हो गये...हम लोगों ने शॉपिंग नही की है..
अंजलि :- हाँ बिल्कुल सही बोल रहे हो दया भाभी आप....मुझे तो बहुत सारा समान खरीद के लाना है...
माधवी :- हाँ मुझे भी कुछ ज़रूरी समान खरीदना है...
रोशन :- हाँ बावा...मुझे भी घर का कुछ समान लेना है...
अंजलि :- तो ठीक है फिर कल चलते हैं...सब ...एक साथ...
दया :- हाँ बिल्कुल...कल ठीक रहेगा..बापूजी भी घर पे नही है..तो जल्दी कम निपट जाएगा घर का...
माधवी :- तो ठीक है 12 बजे चलते हैं....कोमल भाभी क्या हुआ आप क्यूँ चुप...अरे भूल जाओ....हम लोगों से क्या शरमाना...
सभी बोलते हैं हाँ कोमल भाभी...अब आप ठीक हो जाइए...
अब कोमल कुछ नॉर्मल होती है..
कोमल :- थॅंक यू...में तो बहुत डर रही थी..
अंजलि :- उसमे क्या है...आप परेशान मत होइए...
अच्छा तो कल चल रहे हैं ना.
कोमल :- वो आक्च्युयली में कल नही चल सकती...
सभी एक साथ....क्यूँ???
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उधर जेठालाल की दुकान पर...
जेठालाल :- आई नट्टू काका वो.... 21 इंच के एलसीडी के कितने पीस बचे हैं...गॉडाउन में..
नट्टू काका :- जी 30 है सेठ जी..
जेठालाल :- अच्छा...और वो बाघा आया कि नही..चेक लेके अभी तक...
उधर से आवाज़ आती हुई.....आ गया सेठ जीईई...बाघा दुकान के अंदर एंटर होते हुए.....
जेठालाल :- बड़ी देर लगा दी भाई...और हाँ ..चेक मिल गया..
बाघा :- आपको तो पता है ना सेठ जी...वो सेठ कितना टाइम लगते हैं....3 घंटा मगज मारी की तब जाके के चेक दिया उन्होने...
जेठालाल :- चल दे तो दिया ना...ला दे...
और जेठालाल बाघा से चेक ले लेता है.....
तभी वहाँ से एक पोलीस वाला दुकान के अंदर घुसता है....
पोलीस वाला :- यहाँ का सेठ कौन है..
जेठालाल :- जी में हूँ सेठ.....बोलिए क्या बात है इनस्पेक्टर साहब ..क्या हुआ...
इनस्पेक्टर :- देखिए...हम यहाँ एक टेररिस्ट ग्रूप को ढूँढ रहे हैं...
जेठालाल :- तो यह क्या आपको टेररिस्ट दिख रहे हैं...हम सब.
इनस्पेक्टर :- देखिए हमारा ये मतलब नही था....हमारा मतलब ये है...ये कुछ लोग यहाँ घूम रहे हैं...जिनपे हमे टेर्रोरिस्ट होने का शक़ है....और उनमे से एक आपकी दुकान के आस पास देखा गया है.....
जेठालाल :- देखिए अब हमे कैसे पता कि कौन टेररिस्ट है..या कौन नही..
इनस्पेक्टर :- देखिए आपको उल्टे जवाब देने की आदत है....
वो इंस्पेक्टर कड़क आवाज़ में बोलता है..
इस बार जेठालाल की हालत पतली हो जाती है...और वो घबराता हुआ बोलता है..
जेठालाल :- नही...हहाः...वो मेरा मतलब ऐसा था कि...अब हमे अगर किसी पे शक़ हुआ तो आपको ज़रूर बता देंगे…
इस बार जेठालाल की हालत पतली हो जाती है...और वो घबराता हुआ बोलता है..
जेठालाल :- नही...हहाः...वो मेरा मतलब ऐसा था कि...अब हमे अगर किसी पे शक़ हुआ तो आपको ज़रूर बता देंगे...
इनस्पेक्टर :- ठीक है...ध्यान रखिएगा..वो कोई भी हो सकता है.....एक आदमी या एक औरत..या फिर एक बच्चा...कोई भी..
जेठालाल :- ओके..बिल्कुल ध्यान रहेंगे...थॅंक यू
और वो इनस्पेक्टर चला जाता है..
जेठालाल :- हाशह....
बाघा उसकी तरफ देख रहा होता है..
जेठालाल :- क्या है भाई...जा जाके काम कर..
बाघा :- क्या काम करूँ..
जेठालाल :- गुस्से में...जा वहाँ जाके खड़ा हो जा...
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रात के 9:30 बजे....
हाहहहहः....हाँ ये सही है...हाहः...अच्छा था मेहता साहब..
जी हाँ सभी जेंट्स अब्दुल की दुकान पे सोडा पी रहे थे....
तभी पीछे से जेठालाल आता है...
जेठालाल :- और मेहता साहब क्या हुआ..क्यूँ सब हंस रहे है...
तारक :- अरे जेठालाल आज तुम लेट हो गये काफ़ी...और यार बस ऐसे ही वो जोक सुनाया था...तो हंस रहे थे....
जेठालाल :- अरे वो क्या हुआ मेहता साहब आज दुकान में पोलीस आई थी...
बस इतना ही बोलता है..कि हर बार की तरह अईयर भाई चुप रहे बिना नही मानते..
अईयर :- क्यूँ जेठालाल ..... क्या गड़बड़ कर दी तुमने..
जेठालाल :- अईयर भाई आप साइंटिस्ट हैं ना..
अईयर :- हाँ तो..
जेठालाल :- तो एक काम करो..एक रॉकेट बनाओ..और उसमे बैठ के उड़ जाओ...
सभी जेठालाल की बात सुन के हँसने लगते हैं...
अईयर गुस्से में जेठालाल..
जेठालाल :- क्या जेठालाल :- कुछ पता है नही....फिर बीच में क्यूँ बोल रहे हैं आप...शांति रखिए..
तारक :- ओहू..अईयर तुम भी ना...शांत रहो...जेठालाल को बोलने तो दो..
अईयर :- सॉरी मेहता साहब..
जेठालाल :- ये अईयर भाई भी ना हुह...
हाँ तो हुआ क्या मेहता शाब....
और दुकान पे इनस्पेक्टर वाली सारी बात बता दी..
तारक :- ओह्ह्ह...ये तो बहुत गंभीर समस्या है...जेठालाल ध्यान रखना भाई..
पोपटलाल :- अच्छा....इसके बारे में एक आर्टिकल लिखूंगा...में इन टेररिस्ट के खिलाफ एक जबरदस्त आर्टिकल लिखूंगा.....में दुनिया हिला दूँगा...!!
सोढी :- अरे मुझे तो ये लोग मिल जायें..तो में इनको मार मार के...इनका कचूमर निकाल दूं..
भिड़े :- सही बात है....मगर जेठालाल ध्यान रखना भाई...ये लोग कहीं भी बॉम्ब रख देते हैं...
जेठालाल :- आई भाई क्या बोल रहा है तू....
तारक :- ओफूओ भिड़े .. कैसी बात कर रहे हो...देखो जेठालाल ऐसा कुछ नही होगा...तुम टेन्षन मत लो...अच्छा ये छोड़ो....
पार्टी की बात करते हैं..थोड़ा मूड भी ठीक हो जाएगा....
जेठालाल :- हाँ मेहता साहब ...आपने ठीक कहा....ट्टो बहियूं...सब तैयार है ना....पार्टी के लिए...
सभी एक साथ बोलते हैं...हाँ...बट एक इंसान ना बोल देता है.....!!!!!!!
देखते हैं कौन है जो पार्टी के लिए नही जाना चाहता .... नेक्स्ट अपडेट में..!!!!
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अब्दुल की दुकान पे सब पार्टी में जानने की बातें कर रहे थे...तभी किसी ने ना बोला...अब आगे....!!
जेठालाल ने सबको पार्टी में जाने के लिए बोला....तभी किसी ने वहाँ ना कहा..
पोपटलाल :- क्यूँ...हाथी भाई...
तारक :- हाथी भाई आप पार्टी में जाने के लिए मना कर रहे हो....मेरे कान तो ठीक हैं ना..
डॉक्टर हाथी :- हाँ मेहता साहब ...आप ने बिल्कुल ठीक सुना...
भिड़े :- लेकिन क्यूँ??
डॉक्टर हाथी :- भिड़े मास्टर....वो मुझे और कोमल दोनो को कल .... हॉस्पिटल मेरे भाई के पास जाना है...गाओं में...उनके बेटे की तबीयत थोड़ी खराब है .....
जेठालाल :- ओहू....हाथी भाई...हम आपको बहुत मिस करेंगे...
हाँ ये बात तो है...सभी बोल पड़ते हैं..
जेठालाल :- मेहता साहब एक और मुसीबत है....
तारक :- क्या..
जेठालाल :- बापूजी.....
सब बापूजी का सुन के टेन्षन में आ जाते हैं....
जेठालाल :- हम अपनी बीवियों को तो बेवकूफ़ बना देंगे..लेकिन में बापूजी के सामने झूठ नही बोल पाता...
तारक :- ये बात तो ठीक है तुम्हारी...एक काम करते हैं...सब आज रात सोचते हैं कि क्या बहाना मारना है....फिर देखते हैं...क्या करना है...ठीक है दोस्तों..
भिड़े :- हाँ मेहता साहब .. आप ठीक बोल रहे हैं...कुछ तो सोचना पड़ेगा....चलो फिर चलते हैं...और सोचते हैं..
फिर सब अब्दुल को गुड निट बोल के निकल जाते हैं...
जेठालाल घर पहुँचते हुए.....अपने लिविंग रूम में एंटर करता है....और यूयेसेस दया दिखाई देती है...जो कि डाइनिंग टेबल पे कुछ कर रही थी..इसलिए वो जेठालाल को नही देख सकती...
जेठालाल दया को पीछे से उसकी गान्ड को देख के गरम हो जाता है...और दौड़ता हुआ...पीछे से जाके उससे चिपक जाता है...और दबोच लेता है...
दया डर जाती है..
दया :- उईइ माआ....टप्पू के पापा ये आप क्या कर रहे हैं..
जेठालाल :- अपनी बीवी से प्यार...
और उससे ....अपनी तरफ सीधा कर लेता है...
दया :- टप्पू के पापा आप भी ना...खाना खा लीजिए...पहले...फिर कमरे में आराम लेंगे...कोई आ जाएगा..
जेठालाल :- अर्रे बापूजी और टप्पू के अलावा कौन आएगा...और वैसे भी आज लेट हो गया तो वो दोनो सो ही गये होंगे...
जेठालाल बोलते बोलते दया के चुचों के उपर घुमा रहा था...दया मदहोशी में जाने लगी थी...
लेकिन वो होश में आती हुई...टप्पू के पापा मुझे कुछ बताना है...
जेठालाल :- हाँ पता है भाई..
दया :- अच्छा आपको कैसे पता चला..मेने तो आपको बताया नही..
जेठालाल :- अरे अभी अब्दुल की दुकान पे पता चला...
दया :- हीइन....मगर मेने तो अब्दुल भाई को नही बताया...ओह्ह..अच्छा वो सभी लॅडीस को मेने बताया था ...शायद उनसे पता चल गया होगा..
जेठालाल :- तूने किससे कहा....और तेरे कहने से थोड़ी डॉक्टर हाथी और कोमल भाभी गाओं जाएँगे...
दया :- ओह्ह्ह अच्छा तो इन दोनो की बातें कर रहे थे....लेकिन में तो कुछ और बता रही थी..
जेठालाल :- बाद में बताना...
और अब जेठालाल अपना मुँह दया की चुचियो पे रख देता है...और उसमे अपना मुँह रगड़ने लगता है...
दया :- उई माँ....अहह....मत कीजिए ना अभीइ....उफ़फ्फ़.....अरे मेरी बात बहुत ज़रूरी है..
जेठालाल अपना मुँह हटाते हुई....अच्छा फिर बता..
दया :- बात ये है...कि.....बापूजी..घर ....पे.....नही.....है.....वो अपने यंग ओल्ड ग्रूप के साथ **** के लिए गये हैं...
दया की बात सुन के जेठालाल बहुत ही ज़्यादा खुश हो जाता है....और दया को छोड़ देता है.....
दया चौंक जाती है..कि टप्पू के पापा ने उसे छोड़ कैसे दिया...
दया :- क्या हुआ टप्पू के पापा आपने मुझे क्यूँ छोड़ दिया..
जेठालाल:- घबराता हुआ...नही वो क्या है..बापूजी नही है...तो तू खाना लगा फिर रात में मस्त मज़ा करेंगे...मज़ा आएगा..
दया शरमाते हुई...अच्छा ठीक है..में खाना लगाती हूँ..
जेठालाल दया के जाने का इंतेज़ार करता है...और जैसे ही दया चली जाती है...वो मेहता साहब को फोन करता है...
जेठालाल :- मेहता साहब एक गुड न्यूज़ है...
तारक :- क्या जेठालाल...
जेठालाल :- मेहता साहब....बापूजी 2 या 3 दिनो के लिए बाहर गाओं गये....अब कोई टेन्षन नही है...
तारक :- अरे वाहह जेठालाल तुमने तो बहुत बड़ी खुशख़बरी दे दी...में अभी सबको बता देता हूँ ओके....
जेठालाल :- ओके मेहता साहब...बाइ...
और फोन कट कर देता है..
और फिर बोलता है..
अब तो पार्टी का मज़ा आएगा...बस अब दया को कोई कहानी बनानी है...पहले आज उससे इतना खुश कर देता हूँ...कि कल वो कोई सवाल ही ना पूछे...!!!!
जेठालाल कल की पार्टी में जाने के लिए दया से झूठ बोलने वाला था...शायद इसलिए....वो आज दया को अच्छी तरह से खुश करना चाहता था.....जिससे कल वो उससे आना कानी ना करे.....
लेकिन जैसे ही जेठालाल कमरे में पहुँचा देखा तो दया सोने की तैयारी कर रही थी...
जेठालाल :- थोड़ा परेशान होते हुए...दया तू सो क्यूँ रही है..
दया :- भोली बनती हुई...क्यूँ क्या हुआ..कुछ काम है आपको..
जेठालाल :- लुच्ची ऐसे बोल रही है..जैसे तुझे पता नही हो कि में क्या चाहता हूँ..
दया :- शरमाते हुई...टप्पू के पापा आज नही कर सकते क्यूँ कि मुझे कल शॉपिंग पे जाना है...तो जल्दी सोना है..
जेठालाल :- ओफू दया ...कितना मन था मेरा आज..
जेठालाल के मन में ये चल रहा था कि कहीं ..कल किसी को पता ना चल जाए..कि हम पार्टी में जा रहे हैं..
दया :- सॉरी टप्पू के पापा....
और फिर दया लेट जाती है..
जेठालाल कुछ सोचने लगता है...और तभी पूछता है..
जेठालाल :- अच्छा दया वैसे तू कितने बजे जाएगी....और कितने बजे तक वापिस आएगी..
दया :- क्यूँ आप ऐसा क्यूँ पूछ रहे हैं...
जेठालाल चलते चलते ..पलंग के पास आके बोलता है...तू बता ना भाई..
दया :- अच्छा...हम सब सारी लॅडीस कल 12 बजे कॉंपाउंड में मिलेंगे...और शाम को 5 बजे तक आ जाएँगे..
जेठालाल :- इससे ज़्यादा तो लेट नही होगा ना...
दया :- नही इससे ज़्यादा नही होगा..वैसे आप क्यूँ पूछ रहे हैं..
जेठालाल :- तेरे लिए सर्प्राइज़ है इसलिए...
दया :- सर्प्राइज़...अच्छा..टप्पू के पापा बताइए ना...
जेठालाल :- अरे डोबी अगर अभी बता दूँगा तो सर्प्राइज़ कैसा..
दया :- ओफू..टप्पू के पापा...मुझे तो नींद ही नही आएगी अब..
जेठालाल उसके माथे को सहलाता हुआ बोलता है...सो जा दया...सो जा...
और थोड़ी देर में दया खर्राटे मारने लगती है..
जेठालाल :- बोलो ज़रा...अभी बोल रही थी...कि नींद नही आ रही है..और सो भी गई.....
चलो कल का सर्प्राइज़ ...में कल सुबह मेहता साहब को बता दूँगा....ह्म....मज़ा आएगा....!!!!
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अगली सुबह.....गुड मॉर्निंग...गोकुलधाम...!!!!
अईयर के घर पे...
अईयर सोफे पे बैठ के सोच रहा था कि आज पार्टी के लिए क्या झूठ बोला जाए बबीता से..जिससे उसको कुछ शक़ ना हो....
लेकिन उसको कुछ सूझ नही रहा होता है..
तभी वहाँ से बबीता कॉफी लेके आती है..और अईयर को देती है...लेकिन अईयर तो ख्यालों की दुनिया में था...
बबीता :- अईयर...अईयर...अईयर...
3 बार बुलाने के बाद वो होश में आता है...
अईयर :- हाँ ..क्या हुआ..
बबीता :- अईयर कहाँ खो गये थी...क्या हुआ..
अईयर :- घबराता हुआ...कुछ नही बस वो लॅब के कुछ काम के बारे में सोच रहा था...
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वही हाल उधर भिड़े भाई साहब का भी था...
वो भी सोच में डूबे पड़े थे कि क्या करूँ...क्या आइडिया सोचूँ...एक शिक्षक के लिए कितना मुश्किल है झूठ बोलना...क्या करूँ.....कुछ समझ नही आ रहा..
उधर से माधवी चाइ लेके आती है..
माधवी :- आहू...चाइ...
भिड़े नही सुनता...
माधवी :- अहूओ..कहाँ खो गये..
भिड़े :- होश में आता हुआ...हाँ कुछ नही माधवी बॅस...ऐसे ही इस साल के बजेट के बारे में सोच रहा था...
माधवी :- ओहू..आप भी ना..चलिए जल्दी से चाइ पी लीजिए...फिर आचार की डिलेवेरी भी करने जानी है....
भिड़े :- हाँ ठीक है माधवी...और चाइ पीते पीते फिर सोच में चला जाता है...
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